हरियाणा।हरियाणा के एक निजी स्कूल में गीता फोगाट ने बजरंग पूनिया का पक्ष लेते हुए कहा कि उनमें क्षमता थी और वो योग्य थे, इसलिए वे एशियन गेम्स में खेलने गए। पहलवान गीता फोगाट ने बिना ट्रायल पूनिया के चयन पर कहा कि बहुत सारी चीजें होती हैं। पहले से नियम बने हुए हैं। जिनको पता नहीं, वे कुछ भी कह सकते हैं। बिना ट्रायल व बिना सिलेक्शन के एशियन गेम्स में कोई भी उठकर चला जाए, ऐसा नहीं है। बजरंग ने कई बार देश का नाम रोशन किया है। उ उन्होंने कहा कि बजरंग पूनिया का ये बैडलक रहा कि खेल में मेडल नहीं ले पाया ।
दरअसल गीता फोगाट रविवार को रोहतक के एक ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय खेलकूद प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित करने पहुंची थी। इस दौरान गीता फोगाट मुख्यातिथि के तौर पर पहुंची। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बजरंग के खिलाफ लगातार गलत चीजें फैलाई जा रही हैं । ट्रायल नहीं होने का मतलब है कि जिन खिलाड़ी की अच्छी परफार्मेंस है या लास्ट गेम में मेडल जीतकर लाए हैं, तो उसके आधार पर खिलाड़ियों को भेजा जाता है। यह भारत ही नहीं विदेशों में भी प्रक्रिया है, फेडरेशन के ये नियम हैं। अगर कुछ गलत है तो सरकार व फेडरेशन को बदलना चाहिए। इसके लिए बजरंग जिम्मेदार नहीं हैं। तकनीकी रूप से बता दिया कि कोई जबरन इतने बड़े गेम में नहीं जा सकता। उनमें क्षमता थी और योग्य थे, इसलिए वे एशियन गेम में खेलने गए। अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान ने कहा कि एशियन गेम्स में पहलवानों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। ओवरऑल भी अधिक मेडल आए हैं।
”गीता फोगाट ने कहा कि ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल की ‘पावर अप विद लीजेंड्स’ पहल का हिस्सा बनना अच्छा लगा। कभी बचपन में उनके स्कूल में मुख्य अतिथि आते थे तो उन्हें देखकर लगता था कि कभी वे भी कहीं चीफ गेस्ट बनकर जाएंगी क्या। आज वो दिन आ गया है। युवा एथलीटों को प्रेरित करना और उनके साथ अपने अनुभव साझा करना अच्छा लगता है। जहां भी इस तरह के कार्यक्रम में जाने का मौका मिलता है वे बच्चों को मिलने जाती हैं।”
समारोह के दौरान गीता फोगाट ने विद्यार्थियों का भी हौसला बढ़ाया। इस दौरान गीता फोगाट ने कहा कि आज के समय में खेल बहुत जरूरी हो गया है। इसके लिए न केवल खिलाड़ी बल्कि उनके अभिभावकों को भी अपने बच्चों का पूरा सहयोग करना चाहिए । खिलाडियों को समय समय पर सरकार काफी पैसा देती है। बहुत से खिलाडि़यों के कैश अवार्ड भी कई सालों से रुके हुए हैं और उन्हें नहीं मिले हैं लेकिन इसमें समय नहीं लगना चाहिए, जब बच्चों को जरूरत होती है तो उस समय सुविधा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल स्कूलों में जो बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं तो इसका आगे सकारात्मक असर पड़ेगा। एथलीट नीरज चोपड़ा का उदाहरण देते हुए कहा कि वे विदेशों में अभ्यास करते हैं, वहां वातावरण अच्छा रहता है। इसी तरह खिलाडि़यों को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें माहौल भी अच्छा मिलना चाहिए।