चंडीगढ़: हरियाणा की राजनीति में चुनाव चिन्ह को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के चुनाव चिन्ह ‘चश्मा’ को लेकर गहरी आपत्ति जताई है। जेजेपी का कहना है कि भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के नियमों का पालन न करने के बावजूद इनेलो को यह चिन्ह सुरक्षित रखने दिया गया है। इसे लेकर जेजेपी अब कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी में है और जल्द ही दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रही है।
चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
जेजेपी प्रवक्ता वीरेंद्र सिंधु ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में इनेलो का प्रदर्शन चुनाव आयोग की शर्तों पर खरा नहीं उतरा था। इसके बावजूद, 10 महीने बीत जाने के बाद भी आयोग ने इनेलो के चुनाव चिन्ह को लेकर कोई उचित कार्रवाई नहीं की। सिंधु का कहना है कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली का मजाक है और आयोग को इस पर तुरंत विचार करना चाहिए।
आरटीआई से भी नहीं मिला संतोषजनक जवाब
वीरेंद्र सिंधु ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगी थी, लेकिन आयोग की ओर से कोई स्पष्ट या संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जेजेपी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह जल्द से जल्द इस मामले में उचित निर्णय ले, अन्यथा वे न्यायालय का सहारा लेने के लिए मजबूर होंगे।
2019 और 2024 में इनेलो चुनाव आयोग की शर्तों पर क्यों नहीं उतरी खरी?
सिंधु ने आगे बताया कि 1998 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर इनेलो को राज्य पार्टी के रूप में ‘चश्मा’ चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया था। हालांकि, 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इनेलो चुनाव आयोग की शर्तों को पूरा नहीं कर पाई थी।
नियमों के अनुसार, इनेलो को 2024 के लोकसभा चुनाव में एक और अवसर दिया गया था, लेकिन इस चुनाव में भी उनका प्रदर्शन आयोग के मानकों के अनुरूप नहीं था। इस स्थिति में, जेजेपी ने सवाल उठाया है कि यदि 2024 के लोकसभा चुनाव में इनेलो आयोग की शर्तों पर खरा नहीं उतरी, तो फिर 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में वह ‘चश्मा’ चिन्ह पर कैसे चुनाव लड़ सकी? इतना ही नहीं, इनेलो ने निकाय चुनाव भी इसी चिन्ह पर लड़ने की घोषणा की थी।
आगे की रणनीति
अब जेजेपी इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रही है। पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग को इस मामले में जल्द से जल्द उचित निर्णय लेना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत किया जा सके।
हरियाणा की राजनीति में यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चुनाव आयोग इस पर कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर यह मामला अदालत तक पहुंचेगा।