( Dr Anuj Narwal Rohtaki ) सोनीपत नगर निगम में एक साथ 66 कर्मचारियों का ट्रांसफर हुआ है। कारण बताया गया — “भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली थीं।” यानी अब तक जो फाइलें फाइलों में घुमा रहे थे, अब वो चाय दूसरे सेक्शन में पीएंगे।
कमिश्नर साहब का कहना है — “सुधार जरूरी था।” मतलब भ्रष्टाचार का इलाज ट्रांसफर से! जैसे किसी डॉक्टर ने कहा हो — “मरीज को बुखार है, चलो उसकी चारपाई बदल दो।”
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि भ्रष्टाचार ट्रांसफर हुआ है या कर्मचारी? क्योंकि हर विभाग में शिकायत वही रहती है, बस दस्तखत करने वाले चेहरे बदल जाते हैं।
जनता पूछ रही है — “साहब, ये ट्रांसफर सुधार है या इधर से उधर सफाई?” भ्रष्टाचार अगर जगह बदलने से खत्म होता, तो देश कब का स्वर्ग बन गया होता!
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