किसानों की आय, कर्ज, और उनकी मौजूदा आर्थिक स्थिति पर चर्चा एक गंभीर विषय है, जो केवल राजनीतिक बहसों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। NABARD की रिपोर्ट और अन्य आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि किसानों की वास्तविक स्थिति कथित “समृद्धि” की छवि से कोसों दूर है।
किसानों की आय का सच:
औसत मासिक आय:
NABARD की रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में एक किसान परिवार की औसत मासिक आय ₹13,661 है।
इसमें से ₹4,476 (33%) खेती से, ₹1,677 (12%) पशुपालन से, और बाकी मजदूरी, अन्य उद्यम, और नौकरियों से आती है।
यह दर्शाता है कि खेती अब किसानों की आय का प्राथमिक स्रोत नहीं रह गया है।
कम जोत की समस्या:
औसत भूमि जोत 0.74 हेक्टेयर रह गई है, जो 2016-17 में 1.08 हेक्टेयर थी।
छोटे जोत की वजह से उत्पादन और आय दोनों में कमी आती है।
खर्च और बचत:
एक किसान परिवार हर महीने औसतन ₹11,710 खर्च करता है, जिससे सिर्फ ₹1,951 बचत होती है।
बचत का यह स्तर महंगाई और आपात परिस्थितियों में बेहद असुरक्षित है।
कर्ज की चुनौती:
कर्जग्रस्त परिवार:
55.4% किसान परिवार कर्जदार हैं, जिन पर औसतन ₹91,231 का कर्ज है।
इनमें से 23.4% किसान बैंकों से बाहर, रिश्तेदारों या दोस्तों से उधार लेते हैं।
फसलों के उचित दाम की कमी:
OECD की रिपोर्ट के अनुसार, 2000-2016 के बीच उचित दाम न मिलने से किसानों को ₹45 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
यह नुकसान किसानों की आर्थिक तंगी का एक बड़ा कारण है।
एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग:
किसानों की आय का एक बड़ा हिस्सा खेती से आता है, लेकिन जब फसलों का उचित दाम नहीं मिलता, तो उनकी आय प्रभावित होती है।
सरकारी समर्थन की जरूरत:
MSP की कानूनी गारंटी किसानों की स्थिर आय सुनिश्चित कर सकती है।
साथ ही, कर्ज का दबाव भी कम कर सकती है।
किसानों पर सवाल और वास्तविकता:
किसान आंदोलन में आने वाले आधुनिक ट्रैक्टरों और वाहनों के आधार पर किसानों को “समृद्ध” बताना अनुचित है।
केवल 9.1% किसान परिवारों के पास ट्रैक्टर है, जबकि 61.3% परिवार दुधारू पशुओं पर निर्भर हैं।
यह दिखाता है कि अधिकांश किसान अभी भी परंपरागत साधनों से अपनी आजीविका चलाते हैं।
आगे का रास्ता:
नीतिगत सुधार:
एमएसपी को कानूनी रूप देना।
छोटे और सीमांत किसानों के लिए वित्तीय योजनाएं।
प्रौद्योगिकी और संसाधन विकास:
छोटे जोत वाले किसानों के लिए सहकारी खेती को बढ़ावा देना।
नई कृषि तकनीकों और उपकरणों की आसान उपलब्धता।
कर्जमुक्ति योजनाएं:
कर्ज के पुनर्गठन और माफी की योजनाएं।
साहूकारी प्रथा पर सख्ती और बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार।
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए केवल राजनीतिक बयानबाजी काफी नहीं है। उन्हें आय बढ़ाने और कर्ज के बोझ से मुक्त करने के लिए ठोस नीतियां और उनका क्रियान्वयन आवश्यक है। यदि सरकार और समाज दोनों मिलकर काम करें, तो “अन्नदाता” की स्थिति में सुधार संभव है