आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण ज़िंदगी में काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती बन चुका है। ओवरटाइम, मीटिंग प्रेशर और निजी समय की कमी ने लोगों को मानसिक रूप से थका दिया है। इसी चुनौती से निपटने के लिए कई देशों ने चार दिवसीय कार्य सप्ताह (4-Day Work Week) को अपनाया है। यह मॉडल काम की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए कर्मचारियों को अधिक विश्राम और व्यक्तिगत समय देता है।
🔹 दुबई (UAE): सरकारी स्तर पर क्रांतिकारी बदलाव
दुबई ने 2022 में 4.5 दिन का कार्य सप्ताह शुरू किया, जिसमें ढाई दिन की छुट्टी शामिल थी। गर्मियों में इसे और लचीला बनाते हुए चार दिन का वर्क वीक लागू किया गया।
📌 परिणाम:
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कर्मचारियों की कार्यक्षमता और संतुष्टि में इज़ाफा
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खासकर भारतीय प्रवासी कर्मचारियों ने इस पहल का स्वागत किया
🔹 आइसलैंड: ट्रायल से बदलाव की मिसाल
2015 से 2019 के बीच आइसलैंड में 2,500 कर्मचारियों के साथ 4-Day Work Week का ट्रायल हुआ।
📌 मुख्य परिणाम:
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कर्मचारियों की मानसिक स्थिति बेहतर
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काम की गुणवत्ता में कोई गिरावट नहीं
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कई कंपनियों ने इसे स्थायी रूप से लागू किया
🔹 यूके: 100:80:100 मॉडल की सफलता
2022 में UK में 61 कंपनियों और लगभग 3,000 कर्मचारियों ने 6 महीने के लिए इस मॉडल को अपनाया।
🔹 मॉडल:
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100% वेतन
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80% काम के घंटे
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100% उत्पादकता की उम्मीद
📌 परिणाम: -
89% कंपनियों ने इसे जारी रखा
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आधी से अधिक कंपनियों ने स्थायी रूप से लागू कर दिया
🔹 जापान: माइक्रोसॉफ्ट ने बढ़ाया रास्ता
माइक्रोसॉफ्ट जापान ने 2019 में चार दिन का कार्य सप्ताह लागू किया।
📌 नतीजा:
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उत्पादकता में 40% तक की बढ़ोतरी
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कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
🔹 बेल्जियम: अधिकारों के साथ लचीलापन
बेल्जियम सरकार ने 2022 में 4-दिन के कार्य सप्ताह को मंजूरी दी।
📌 महत्वपूर्ण बातें:
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वेतन में कोई कटौती नहीं
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काम के घंटों के बाद कार्य संदेशों को न पढ़ने का अधिकार
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कर्मचारियों के निजी जीवन को सम्मान
🔹 न्यूजीलैंड: ट्रस्ट आधारित मॉडल
2018 में एक ट्रस्ट कंपनी ने ट्रायल के तौर पर इसे अपनाया।
📌 परिणाम:
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तनाव कम
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कार्य संतुलन बेहतर
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इसे स्थायी रूप से लागू किया गया
भारत में क्या है स्थिति?
भारत में अभी तक 4-Day Work Week को औपचारिक रूप से लागू नहीं किया गया है, लेकिन इस पर गंभीर विचार जारी है।
🧾 नई श्रम संहिता 2025 में प्रस्ताव:
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हफ्ते में 4 दिन काम, 3 दिन की छुट्टी
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शर्त: हफ्ते में कुल 48 घंटे काम करना जरूरी
👉 यानी प्रति दिन 12 घंटे की शिफ्ट
📌 चुनौतियाँ:
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भारत की पारंपरिक कार्य संस्कृति
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लंबी शिफ्ट्स का दबाव
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कंपनियों और नियोक्ताओं की मानसिकता में बदलाव जरूरी
📣 विशेषज्ञों की राय:
भारत जैसे देश में इस मॉडल को अपनाने के लिए मानसिकता, नीतियों और संसाधनों में बदलाव ज़रूरी है। तकनीकी क्षेत्र में जहां लचीलापन अधिक है, वहां यह मॉडल जल्दी लागू हो सकता है।
चार दिन का कार्य सप्ताह दुनिया भर में काम करने के तरीके को बदल रहा है। यह कर्मचारियों को न केवल मानसिक राहत देता है, बल्कि उनकी उत्पादकता और संगठन के प्रति निष्ठा को भी बढ़ाता है। भारत में भी यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।
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