🔹 लिव-इन में था देवर-भाभी का रिश्ता, परिवार ने की थी कई बार पंचायत
पानीपत के सेक्टर-25 स्थित कृष्णा गार्डन कॉलोनी में रहने वाले 24 वर्षीय सागर ने रविवार सुबह आत्महत्या कर ली। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के शामली जिले का रहने वाला सागर करीब एक साल से एक महिला के साथ लिव-इन में रह रहा था, जो उसकी ही भाभी थी — उसके चचेरे भाई की पत्नी।
दो बच्चों की मां इस महिला की शादी 2016 में सागर के चचेरे भाई से हुई थी, लेकिन पारिवारिक कलह के बाद वह अपने पति को छोड़ सागर के साथ रहने लगी। गांव में कई बार पंचायत भी हुई, समाज के बुजुर्गों ने समझाया, लेकिन दोनों ने रिश्ते को जारी रखा।
🔹 भरोसे को लगी ऐसी चोट कि जिंदगी ही छोड़ दी
बीते कुछ दिनों से वह महिला सागर के साथ नहीं थी। पड़ोसियों के अनुसार, 20 मई से वह अचानक लापता थी। शनिवार सुबह जब सागर के कमरे का दरवाजा नहीं खुला, तो लोगों ने खिड़की से झांककर देखा — वह पंखे से लटका हुआ था।
पुलिस मौके पर पहुंची, दरवाजा तोड़ा गया और शव को नीचे उतारा गया। कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें सागर ने लिखा:
“जिसे सबसे ज्यादा चाहा, उसी ने धोखा दिया। मां, मुझे माफ कर देना। मैंने आपकी बात नहीं मानी। अब जीने की वजह नहीं बची।”
🔹 भाभी अब देवर के दोस्त संग फरार, उसी का नाम लिखा सुसाइड नोट में
सागर ने अपने सुसाइड नोट में उस व्यक्ति का नाम, पता और मोबाइल नंबर भी लिखा है, जिसके साथ महिला भागी है। वह व्यक्ति सागर का करीबी दोस्त था। विश्वासघात के इस स्तर ने सागर को पूरी तरह तोड़ दिया।
उसने सुसाइड नोट में यह भी लिखा कि वह महिला और उसका दोस्त मिलकर उसे भावनात्मक रूप से बर्बाद कर गए। सागर के इस कदम ने दो परिवारों को झकझोर कर रख दिया है।
🔹 परिजनों की मांग – महिला और उसके साथी पर हो कड़ी कार्रवाई
पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे सागर के परिजनों ने भावुक होकर आरोप लगाए कि इस रिश्ते ने उनके बेटे की जान ले ली। उन्होंने उस महिला और युवक को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराते हुए सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
चांदनी बाग थाना प्रभारी संदीप कुमार के अनुसार, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सुसाइड नोट में उल्लिखित लोगों की तलाश की जा रही है। हालांकि परिजनों की ओर से अभी तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।
🔹 टूटे रिश्तों की दर्दनाक दास्तां: कौन है जिम्मेदार?
इस घटना ने समाज के सामने कई कड़वे सवाल छोड़ दिए हैं —
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क्या लिव-इन रिश्तों में भावनात्मक जिम्मेदारी नहीं होती?
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क्या रिश्तों की आज़ादी इतनी होनी चाहिए कि कोई बेवफाई कर किसी की जान ले ले?
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और सबसे बड़ा सवाल — क्या समाज और कानून ऐसे मामलों में पीड़ितों को न्याय दिला पा रहे हैं?
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