रोहतक। PGI रोहतक ने फेस्टिवल को लेकर इमरजेंसी सेवाएं बढ़ा दी हैं ताकि मरीजों को इलाज में कोई दिक्क्त न हो। दरअसल दीपावली पर हर जगह कोई न कोई दुर्घटनाएं घट जाती हैं जिसके बाद पीजीआई में मरीजों को भीड़ के कारण बेहतर और समय पर इलाज मिल सके। पीजीआई ने त्यौहार पर एडवाइजरी जारी करते हुए इमरजेंसी सेवाएं भी बढ़ा दी हैं। ट्रॉमा सेंटर में 24 घंटे हर विभाग का एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर इस मौके पर तैनात रहेंगे।
दरअसल पीजीआई के ट्रॉमा सेंटर में रोजना करीब 400 से 500 मरीज भर्ती किए जाते हैं। इनमें से 300 से 400 मरीज ऐसे होते हैं जिन्हें रात में भर्ती करने की जरूरत होती है। रात में भर्ती होने वाले मरीजों में दुर्घटना या फिर अचानक हालत बिगड़ने वाले मरीज होते हैं। इनमें 150 मरीज ऐसे होते हैं जो दुर्घटना के कारण भर्ती होते हैं। जिसके बाद त्योहारों पर इन मरीजों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसमें प्रदूषण, विवाद, वाहनों की आवाजाही बढ़ना, दुर्घटना सबसे बड़े कारण माना जाता है। लेकिन ट्रामा सेण्टर में डॉक्टरों कि संख्या कम होने के कारण मरीजों का बेहतर इलाज नहीं हो पाता। इसी के तहत त्यौहार से पहले ही पीजीआई ने मरीजों को कोई दिक्कत न हो इसलिए डॉक्टरों को रात में वार्डों के बजाए ट्रॉमा सेंटर में मौजूद रहने के अलर्ट जारी किये हैं। प्रशासन की ओर से तैयार किए गए प्लान में यहां के ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीजों पर फोकस होगा। इसके लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती होगी। ऐसे मरीजों को बेहतर इलाज के लिए पीजीआई ने अभी से तैयारी शुरू की है।
पीजीआई में एक मरीज को इलाज के लिए कई स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के परामर्श और इलाज की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में स्पेशलिस्ट डॉक्टर टीम के रूप में काम करेंगे। इसमें दूसरे डॉक्टरों से भी जानकारी साझा करेंगे। जिससे मरीज को जल्द ही सुलभ इलाज मिल पाएगा। साथ ही दूसरे विभाग में इलाज के लिए भी जल्द शिफ्ट करके इलाज करने में सहूलियत रहेगी।
रिजर्व रखे जाएंगे वेंटीलेटर
मरीज का ट्रॉमा सेंटर में आते ही तत्काल इलाज शुरू हो जायेगा । इसमें ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीज को पहले से रिजर्व वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन देकर कुछ राहत देने के बाद दूसरी जगहों पर शिफ्ट करेंगे। खास बात यह है कि डॉक्टर दिन और रात के समय ट्रॉमा में ही रहेंगे। यहीं पर रहकर वह मरीजों की सेवाएं देंगे। अभी तक रात में ट्रॉमा में तैनात रहने वाले डॉक्टर अपने वार्ड में पहुंचते रहे हैं।
इन डिपार्टमेंट के डॉक्टरों पर होगी विशेष जिम्मेदारी
इनमें बर्न, प्लास्टिक सर्जरी, मेडिसन, डेंटल सर्जरी, ऑर्थो, क्षय रोग विभाग, एनेस्थिसिया, नेत्र विभाग समेत अन्य मुख्य विभागों के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है। इनमें प्रत्येक रोग का एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर हर दिन अनिवार्य रूप से मौजूद रहेगा। अगर जरूरत हुई तो इनकी संख्या बढ़ाई और घटाई जा सकेगी। इसमें रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ भी जरूरत के हिसाब से तैनात किया जा रहा है।
पीजीआईएमएस की चिकित्सा डॉ. कुंदन मित्तल ने बताया कि फेस्टिवल को लेकर ट्रॉमा सेंटर में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को तैनात किया जा रहा है। जरूरत के हिसाब से दूसरे कर्मचारी भी बढ़ाए जाएंगे। इससे मरीजों को लाभ मिलेगा।
दुर्घटना होने पर ये सावधानियां हेतु पीजीआई ने निम्नलिखित अडवाइजरी जारी की है –
1. मामूली जलने की स्थिति में जले स्थान पर तब तक पर्याप्त मात्रा में पानी डालें जब तक जलन पूरी तरह से बंद न हो जाए। जले हुए स्थान पर कभी भी टूथपेस्ट या नीली स्याही जैसे एजेंट न लगाएं। किसी भी कसने वाली सामग्री जैसे अंगूठियां या चूड़ियां तुरंत हटा दें, क्योंकि बाद में सूजन आ जाती है जिससे उन्हें निकालना मुश्किल हो जाता है।
2. दीया, मोमबत्ती या पटाखे जलाते समय सिंथेटिक और ढीले कपड़े पहनने से बचें।
3. पटाखे और दीया जलाते समय हमेशा हाथ की दूरी पर खड़े हों। पटाखे फोड़ने से वायु और ध्वनि दोनों प्रदूषण होता है। दिवाली को इस तरह से मनाएं जिससे दूसरों को असुविधा या नुकसान न हो।
5. पैरों को चोट से बचाने के लिए पटाखे को रेत या पानी की बाल्टी में फेंकना याद रखें।
6. पटाखे फोड़ते समय जूते पहनें। कभी भी ऐसे पटाखों को न उठाएं जो फटने में देरी कर रहे हो, इससे हाथ में गंभीर चोट लग सकती है।
7. कपड़ों में आग लगने की स्थिति में स्टॉप, ड्रॉप एंड रोल। विस्तृत करने के लिए, जहां भी दौड़े बिना रुकें,जिससे आग और भड़क सकती है। आग को चेहरे तक फैलने से बचाने के लिए आप जहाँ भी हाँ, गिराएँ या लेट जाएँ। ऑक्सीजन की आपूर्ति को सीमित करने के लिए जमीन पर रोल करें। ज्यादातर मामलों में ऐसे आग पर काबू पाया जा सकेगा। हवा को काटने के लिए मोटी गलीचे का भी उपयोग कर सकते हैं, इस प्रकार आग को बुझा सकते हैं।
8. मोमबत्ती जलाने और पटाखे फोड़ने के दौरान आसपास के क्षेत्र में पानी से भरी बाल्टी या आग बुझाने का यंत्र रखना एक अच्छा अभ्यास है।
10. आंख में कोई चोट लगने पर आंख को न रगड़ें बल्कि साफ पानी से आंख की धोएं और नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लें। दीवाली से संबंधित चोटों से निपटने के लिए एडवांस आई सेंटर इमरजेंसी चौबीसों घंटे खुली रहती है।