नई दिल्ली, 21 मार्च 2025 | दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने के बाद भारी मात्रा में नकदी बरामद होने से न्यायपालिका में हड़कंप मच गया। इस खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उनका तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया।
आग के बाद हुआ चौंकाने वाला खुलासा
जानकारी के अनुसार, जिस समय जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगी, उस वक्त वे शहर में मौजूद नहीं थे। उनके परिवार वालों ने दमकल विभाग और पुलिस को सूचना दी। आग बुझाने के बाद जब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने जांच की, तो एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी पाई गई, जिससे यह मामला सुर्खियों में आ गया।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की त्वरित कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में कॉलेजियम की आपात बैठक बुलाई गई। बैठक के दौरान कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को तुरंत दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित करने का निर्णय लिया।
जजों की इस्तीफे की मांग
हालांकि, कई जज और न्यायिक विशेषज्ञ केवल तबादले को पर्याप्त नहीं मान रहे हैं। कुछ जजों का मानना है कि न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देना चाहिए। यदि वे ऐसा करने से इनकार करते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट की 1999 में स्थापित इन-हाउस प्रक्रिया के तहत उनके खिलाफ जांच शुरू की जानी चाहिए। इस प्रक्रिया के तहत, चीफ जस्टिस संबंधित जज से जवाब मांग सकते हैं और उचित जांच कर सकते हैं।
न्यायपालिका की पारदर्शिता पर उठे सवाल
इस घटना ने भारतीय न्यायपालिका की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच आवश्यक है, ताकि जनता का न्यायिक प्रणाली पर विश्वास बना रहे।
आगे की कार्रवाई पर नजर
फिलहाल, पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां नकदी की बरामदगी को लेकर विस्तृत जांच कर रही हैं। मामले से जुड़े सभी पहलुओं की बारीकी से पड़ताल की जा रही है, और भविष्य में इस पर कोई और बड़ा फैसला लिया जा सकता है।