अलख हरियाणा डॉट कॉम , नई दिल्ली। रबी की अगेती फसलों की तैयारी के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान की ओर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। फसलों की बुवाई से पहले जमीन को तैयार करने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए ऐसे कुछ उपाय बताए हैं। खेतों में मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए खेत की जुताई करने के साथ ही पाट जरूर बनाने चाहिए। इसके साथ ही आने वाले दिनों में बारिश की संभावना के देखते हुए सभी सब्जियों, दलहनी फसलों, मक्का तथा पौधशाला में जल निकास का उचित प्रबंध करें। सभी फसलों में किसी भी प्रकार के छिड़काव बचे ।
इस मौसम में गाजर की बुवाई की जा सकती है। इसके लिए पूसा ने एक उन्नत किस्म का बीज तैयार किया है किसका नाम पूसा रूधिरा है। यह बीज एक एकड़ में चार किलो लगता है।बीज का बुवाई से पहले उपचार किया जाना चाहिए। बीज का उपचार करने के लिए प्रति किलो बीत के हिसाब से दो ग्राम केप्टान डाला जाता है।इसके साथ ही खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक भी डेल जाने चाहिए।इन फसलों की बराबर देखभाल करनी आवश्यक है क्योंकि इस मौसम में फसलों में दीमक लगने की आशंका रहती है। अगर दीमक लगता दिखाई दे तो क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 4.0 मिली/लीटर सिंचाई जल के साथ दें।
इसके अतिरिक्त इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई भी की जा सकती है। बीजों को केप्टान या थायरम 2 ग्रा. प्रति किग्रा बीज की दर से मिलाकर उपचार करें। सरसों की अगेती खेती के लिए पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा सरसों 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक आदि के बीज की बुवाई करें।
किसानों के लिए जरूरी है की वे मिर्च तथा टमाटर के खेतों में बीमार पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। यदि विषाणु रोग का प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। कीटों की रोकथाम करने में प्रकाश प्रपंच का प्रयोग भी उत्तम रहेगा।
इसके लिए किसी बरतन में पानी और थोड़ा कीटनाशक मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जाएंगे। इस प्रपंच से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा।