अलख हरियाणा ब्यूरो, चंडीगढ़-पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी सरकार पर दलित, पिछड़े, गरीब और किसानों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार न केवल नए स्कूल खोलने में नाकाम रही है, बल्कि पहले से स्थापित स्कूलों में बिजली, पानी, टॉयलेट और बेंच जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं करवा रही है।
हुड्डा ने कहा कि सरकार की नीतियां शिक्षा तंत्र को पूरी तरह निजी हाथों में सौंपने की ओर इशारा करती हैं। हाई कोर्ट ने हाल ही में सरकारी स्कूलों की बदहाली पर बीजेपी-जेजेपी सरकार पर ₹5 लाख का जुर्माना लगाया था, जो सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
टीचर्स की भारी कमी और ड्रॉप आउट रेट बढ़ा
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार ने 10 साल के कार्यकाल में जेबीटी टीचर्स की एक भी नई भर्ती नहीं की। वर्तमान में शिक्षा विभाग में 50,000 पद खाली पड़े हैं। स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के कारण ड्रॉप आउट रेट तेजी से बढ़ रहा है। केवल एक साल में 4.64 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ दिए।
बुनियादी सुविधाओं की कमी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा के 131 स्कूलों में पीने का पानी नहीं है, 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है और 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय तक नहीं है। 10,676 करोड़ रुपये की ग्रांट का उपयोग न कर सरकार ने इसे वापस भेज दिया, जिससे शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार का मौका गंवा दिया गया।
कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां गिनाईं
हुड्डा ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में 2623 नए स्कूल, 12 नए सरकारी विश्वविद्यालय, और आईआईएम, आईआईटी जैसे राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किए गए थे।
शिक्षा बजट में कमी पर सवाल
हुड्डा ने बताया कि बीजेपी सरकार शिक्षा पर जीडीपी का केवल 2% खर्च करती है, जबकि नई शिक्षा नीति के तहत 6% खर्च की सिफारिश की गई है। उन्होंने बीजेपी सरकार पर शिक्षा क्षेत्र की अनदेखी और इसे नीतिगत तरीके से बर्बाद करने का आरोप लगाया।
बीजेपी सरकार को इस विषय पर जल्द से जल्द ध्यान देना होगा, ताकि हरियाणा के बच्चों को शिक्षा से वंचित न होना पड़े।