Injection, तनिष्क नाम का दो साल का एक बच्चा, जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था, उसकी बीमारी के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की लागत वाला इंजेक्शन खरीदने के उसके परिवार के हर प्रयास के बाद मौत हो गई।
तनिष्क के पिता शैतान सिंह ने सरकार से अपील की थी कि उसके बच्चे के लिए अपने स्तर पर इंजेक्शन की व्यवस्था की जाए। हालांकि इस संबंध में कुछ नहीं हुआ।
तनिष्क की मौत की खबर आते ही नागौर जिले के नदवा गांव में मातम पसर गया। इंजेक्शन के इंतजार में तनिष्क की जयपुर के जेके लोन अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। संयोग से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने पिछले साल केंद्र सरकार से तनिष्क के लिए मदद मांगी थी।
डेढ़ साल से तनिष्क इंजेक्शन का इंतजार कर रहा था। जब वे नौ महीने के थे, तब जयपुर के डॉक्टरों ने उनके परिवार वालों को 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन लगाने के लिए कहा था।
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इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करने के लिए उसके परिजनों ने राज्य सरकार और केंद्र दोनों से गुहार लगाई थी, ताकि बच्चे को बचाया जा सके।
कुछ महीने पहले एक अदालत ने आदेश दिया था कि हर बीमार व्यक्ति को दवा मुहैया कराई जाए, लेकिन तनिष्क का मामला एक बार फिर दिखाता है कि राजस्थान में ऐसा नहीं है।