coal gasification project कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन (एमटी) कोयले का गैसीकरण हासिल करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में, भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अपनी प्राकृतिक गैस का लगभग 50 प्रतिशत, कुल मेथनॉल खपत का 90 प्रतिशत से अधिक और कुल अमोनिया खपत का लगभग 13-15 प्रतिशत आयात करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में गैसीकरण प्रौद्योगिकी को अपनाने से कोयला क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। इससे प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य आवश्यक उत्पाद के आयात पर निर्भरता भी कम हो जाएगी।
कोयला गैसीकरण के कार्यान्वयन से 2030 तक आयात को कम करके देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है।
कोयला मंत्रालय का कहना है कि यह पहल कार्बन उत्सर्जन को कम करके और दीर्घकालिक कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देकर, हरित भविष्य के प्रति हमारी वैश्विक प्रतिबद्धताओं में योगदान करते हुए पर्यावरणीय बोझ को कम करने की क्षमता रखती है।
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मंत्रालय, कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के विकास में तेजी लाने के लिए नवीन उपाय अपना रहा है। इस उद्देश्य के अनुरूप, मंत्रालय 6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) और निजी क्षेत्र दोनों के लिए कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना पर विचार कर रहा है।
कोयला गैसीकरण योजना के लिए संस्थाओं का चयन प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार पात्र सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र को कोयला गैसीकरण परियोजनाएं प्रारंभ करने में सक्षम बनाने के लिए बजटीय सहायता प्रदान करने पर विचार कर रही है।