हरियाणा के फतेहाबाद जिले में किसानों को दी जाने वाली फसल मुआवजा राशि में बड़ा घोटाला सामने आया है। वर्ष 2021 में भारी बारिश से फसलों को हुए नुकसान के बाद सरकार ने किसानों को राहत राशि देने के लिए करोड़ों रुपये जारी किए थे। अब खुलासा हुआ है कि इस मुआवजा वितरण में अफसरों और रसूखदारों की मिलीभगत से भारी फर्जीवाड़ा किया गया।
इस घोटाले में तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पांच कानूनगो, एक पटवारी और कांग्रेस नेता कैप्टन अजय यादव के भतीजे रणविजय सिंह सुल्तानिया समेत कुल 27 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। रणविजय सिंह इस वक्त पानीपत के जिला राजस्व अधिकारी (DRO) पद पर कार्यरत हैं। यह मामला राजनीतिक हलकों में भी हलचल का कारण बन गया है।
कैसे हुआ घोटाला
सीएम फ्लाइंग की जांच में सामने आया कि फतेहाबाद की बड़ोपल पंचायत के तहत 2021 में 4475 एकड़ जमीन में जलभराव से फसलें बर्बाद हुई थीं। सरकार ने इसके लिए 4.25 करोड़ रुपये राहत के तौर पर जारी किए थे। जांच में पाया गया कि करीब 3696 एकड़ की फसल खराबे पर 3.51 करोड़ रुपये किसानों को ट्रांसफर किए गए, जबकि बाकी राशि लौटाई गई।
लेकिन शिकायत में आरोप है कि अफसरों और उनके निजी सहायकों ने मिलीभगत कर फर्जी किसानों के नाम पर अपने परिचितों के खातों में यह राशि ट्रांसफर करवा दी। मुआवजा सूची में असली किसानों के नाम थे, लेकिन खाते किसी और के।
जैसे, लिस्ट में दर्ज सुंदर उर्फ बिल्ला – जो कि पटवारी का निजी सहायक है – के खाते में कई असली किसानों के नाम से मुआवजा ट्रांसफर किया गया। इसी तरह, कमलजीत, राजपाल, सुमन और राहुल नाम के जिन लोगों को लाखों की राहत राशि दी गई, उनका नाम खेतों की वास्तविक क्षति सूची (एपीआर) में नहीं था।
राजनीतिक जुड़ाव ने बढ़ाई संवेदनशीलता
मामले की गंभीरता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि आरोपी रणविजय सिंह सुल्तानिया न सिर्फ एक वरिष्ठ अफसर हैं, बल्कि वे कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव के भतीजे भी हैं। यह जुड़ाव अब राजनीतिक बहस का विषय बन गया है।
आगे और खुलासे संभव
सीएम फ्लाइंग की जांच 18 और गांवों तक फैल सकती है। अगर वहां भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आईं, तो घोटाले का दायरा और भी बड़ा हो सकता है।
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