हरियाणा। हरियाणा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एकबार फिर एशियन गेम्स पदक विजेता खिलाड़ियों के इनाम में बढ़ोतरी की मांग की है। हुड्डा का कहना है कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान सरकार ने ‘पदक लाओ, पद पाओ’ और 5 करोड़ तक के नकद इनाम की नीति बनाई थी। लेकिन इतने बरस बाद भी सरकार ने इनाम राशि में उचित बढ़ोत्तरी नहीं की। सरकार को कम से कम 5 करोड़ स्वर्ण पदक, 3 करोड़ रजत और 2 करोड़ कांस्य पदक विजेता खिलाड़ियों को देने चाहिए। साथ ही कांग्रेस कार्यकाल की तरह खिलाड़ियों को डीएसपी जैसे उच्च पदों पर नियुक्ति मिलनी चाहिए।
हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल में खेल नीति के तहत करीब 750 खिलाड़ियों को उच्च पदों पर नियुक्तियां दी गईं थी। लेकिन बीजेपी ने सत्ता में आते ही खिलाड़ियों से डीएसपी और क्लास वन के पदों पर नियुक्ति का अधिकार छीन लिया। जबकि, उत्तर प्रदेश जैसा पड़ोसी राज्य कांग्रेस की नीति पर अमल करते हुए अपने पदक विजेताओं को डीएसपी पद पर नियुक्ति दे रहा है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार ऐसा क्यों नहीं कर रही? क्या राजनीतिक द्वेष या नकारात्मकता के चलते सरकार खिलाड़ियों को उचित सम्मान नहीं देना चाहती?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के खिलाड़ी सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का परचम पूरी दुनिया में लहराने का काम करते हैं। एशियन गेम्स में एक बार फिर सबसे ज्यादा मेडल जीतकर हरियाणा के खिलाड़ियों ने देश व प्रदेश का मान बढ़ाया है। ऐसे में प्रदेश सरकार को भी उनके मान-सम्मान में कोई कोर कसर नहीं छोड़नी चाहिए। खिलाड़ियों को दिया गया सम्मान देश के अन्य युवाओं को भी खेलों के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रेरित करता है।
हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए ऐसी नीति बनाई थी, जिसकी पूरी दुनिया में सराहना हुई। उसी खेल नीति के खिलाड़ियों को करोड़ों रुपये नकद इनाम व उच्च पदों पर नियुक्तियां दी गईं, स्कूली स्तर पर प्रतिभाओं को निखारने के लिए स्पैट की शुरुआत हुई और हर गांव में स्टेडियम बनाए गए। लेकिन बीजेपी ने सत्ता में आते ही डीएसपी जैसे उच्च पदों पर नियुक्ति के प्रावधान को खत्म कर दिया। साथ ही स्पैट खेलों और स्कूली (जूनियर) स्तर पर खिलाड़ियों को मिलने वाला डाइट भत्ते भी बंद कर दिया। कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए खेल स्टेडियम को पूरी तरह लावारिस छोड़ दिया गया। ना वहां खेल प्रशिक्षकों को नियुक्ति दी गई और ना ही खेलों का सामान दिया गया।
इतना ही नहीं सरकार ने कांग्रेस सरकार द्वारा खिलाड़ियों को नौकरियों में दिए गए 3 प्रतिशत खेल कोटे को भी चंद विभागों तक सीमित करके लगभग खत्म कर दिया है। यानी मौजूदा सरकार ने हरियाणा के खिलाड़ियों को हतोत्साहित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। बावजूद इसके प्रदेश के खिलाड़ी कड़ी मेहनत और अपने जज्बे के बूते आज भी दुनिया में देश का नाम रौशन कर रहे हैं। बीजेपी-जेजेपी सरकार को भी नकारात्मकता की भावना छोड़कर इन्हें उचित मान-सम्मान देना चाहिए।