चरखी दादरी बाढडा न्यूज।। बाढड़ा उपमंडल समेत जिले भर में शनिवार को आयोजित जिला पार्षद से लेकर पंचायत समिति, सरपंच व पंच पदों के लिए शपथ ग्रहण कार्यक्रम में सभी नवनिर्वाचित्त प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी कर अपने कर्तव्यों पर सजग रहने का वायदा किया।
पहली बार राजपत्रित अधिकारियों की मौजूदगी में पच्चास फिसदी महिलाओं ने शपथ ली। प्रत्येक गांव में किसी सरपंच ने गांव में स्वच्छता, किसी ने तुलसी या त्रिवेणी का पौद्या लगाकर पर्यावरण सरंक्षण तो किसी ने गांव को नशे से मुक्त करने की मुहिम शुरु करने की पहली की लेकिन इस कार्यक्रम में जो सबसे अलग नजर आई वह थी घुंघट प्रथा।
आजाद भारत में हरियाणा प्रदेश के पंचायतीराज को सबसे मजबूत, सशक्त, फैसले लेने में अग्रणी व सरकार द्वारा सबसे अधिक शक्तियां देने के लिए अधिकार दिए गए हैं लेकिन उसके बावजूद आज भी पच्चास फिसदी कार्यक्रमों में महिलाओं ने ढकें हुए चेहरों में ही शपथ ली। प्रदेश सरकार ने पहली बार पच्चास फिसदी महिला वर्ग को भागीदारी तो दी लेकिन उनकी झिझक या धरातली शक्ति देने में कोई कदम नहीं उठाया गया है।
दो दर्जन गांवों में तो महिला सरपंच केवल दिखावे के लिए कार्यक्रमों में पहुंची और सीएम व पंचायत मंत्री के भाषण से पहले ही उनको घरों में भेज दिया। खंड के लगभग पच्चास फिसदी पुरुष एवं महिला पंच, सरपंच दस जमा दो कक्षा या स्नातक तक शिक्षित होने के बावजूद अपनी शपथ तक सही ढंग से नहीं पढ पाई लेकिन उनका कामकाज संभाल रहे पति, भाई, ससुर या अन्य स्वजन केवल कागजी कार्यवाही के नाम पर उनके ढके हुए मुहं से शपथ दिलवा कर अपने अपने घरों को भेजकर खुद अपने मतदाताओं का मुह मीठा करवाने में जुट गए ।
पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी निर्मल श्योराण ने बताया कि प्रदेश सरकार ने नवनिर्वाचित्त पंचायत प्रतिनिधियों को ग्राम स्तर, खंड व जिला स्तर पर शपथ कार्यक्रम आयोजित कर सराहनीय कदम उठाया है इससे गांव के हारे व जीते हुए सभी मतदाता एक साथ बैठकर अब मिलकर गांव के विकास की रुपरेखा तैयार करने में आगे आ रहे हैं जो सराहनीय है लेकिन पच्चास फिसदी से अधिक गांवों में महिलाओं के चेहरे पर घुंघट रखने में महिला के अलावा पुरुष प्रधान समाज की सोच भी उतरदायी है। गांव के बुजर्गो को नई नवेली बहुओं को बेटी मानते हुए खुले मन व खुले चेहरे से शपथ लेते हुए प्रोत्साहित करना चाहिए। कई गांवों में राजपत्रित अधिकारी भी पहले सभी सरपंच व पंच पदों पर निर्वाचित्त महिला पुरुषों का खुले में पचिय लेकर उनको शपथ दिलवानी चाहिए थी लेकिन सब एक ही विचारधारा में बह गए जिस पर मंथन करना जरुरी है।