शिव कुमार योगी, बाढडा। सरकार द्वारा भले ही शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाए जाने के नाम पर अपनी पीठ थपथपाई जा रही हो। लेकिन अभी भी राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ रहा है। बाढड़ा में तो आलम यह है कि छात्राओं को समय पर स्कूल पहुंचने के लिए बस सुविधा भी नहीं मिल पा रही हैं जो सरकार के देशव्यापी बेटी बचाओं के साथ बेटी पढ़ाओं के नारे पर ग्रहण लगा रहा है।
विद्यार्थी की दिनचर्या का सबसे अहम हिस्सा है कि वह समय पर शिक्षण संस्थान पहुंचकर अपना अध्ययन शुरू करें। लेकिन बाढड़ा क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए समय स्कूल पहुंचना किसी कठिन चुनौती से कम नहीं है। इसके लिए विद्यार्थियों को प्रतिदिन संघर्ष करना पड़ता है इसके बावजूद भी वे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बाढड़ा क्षेत्र में कई रुटों पर तो रोड़वेज की बस सुविधा ही नहीं हैं वहीं जिन रूटों पर रोड़वेज की बसें जाती हैं वहां पर या तो स्कूल टाइम पर बस सेवा उपलब्ध नहीं है या फिर मात्र केवल एक बस होने और विद्यार्थी अधिक होने के कारण आधे विद्यार्थी भी बस में सवार नहीं हो पाते और वे केवल बस को ताकते रह जाते हैं। जिसके चलते उन्हें निजी वाहनों में धक्के खाने को मजबूर होना पड़ता है और उनको समय के साथ-साथ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जिसके चलते छात्राएं कई बार अपनी समस्या को लेकर प्रदर्शन भी कर चुकी है लेकिन अभी तक समस्या का आंशिक समाधान भी नहीं हो पाया है।
इन रूटों पर बनी है समस्या:
बाढड़ा में स्थित राजकीय स्कूल, कॉलेज, लाइब्रेरी, कोचिंग सैंटर आदि शिक्षण संस्थानों में क्षेत्र के गांवों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए आती है। लेकिन शायद ही कोई रूट है जिस पर छात्राओं को शिक्षण संस्थानों में पहुंचने परेशानी ना झेलनी पड़ती हो। बाढड़ा से ढिगावा रूट पर आधा दर्जन गांवों की छात्राएं बाढड़ा आती है लेकिन यहां पर रोड़वेज की एक भी बस नहीं चलती हैं। यहीं हाल लाडावास, द्वारका रूट पर हैं जहां छात्राओं को पांच से सात किलाेमीटर पैदल चलकर जुई-बाढड़ा रूट पर बस पकड़ती है। वहीं जुई बाढड़ा रूट पर बसों की कमी व विद्यार्थियों की अधिकता के चलते बड़ी समस्या बनी हुई है। बाढड़ा से चांदवास, निमड़-बडेसरा रूट की बात की जाए तो यहां भी सुबह व दोपहर के समय मात्र एक बस है। वहीं बाढड़ा से झोझू रूट पर दो घंटे के अंतराल पर बस देखने को मिलती है जिससे विद्यार्थी समय पर शिक्षण संस्थान नहीं पहुंच पाते। इसके अलावा हड़ौदी, कालूवाला,डोहका आदि गांवों की छात्राओं को भी बस सुविधा के अभाव में परेशानी झेलनी पड़ रही है।
स्पेशल बसें बंद होने के बाद उठानी पड़ रही है परेशानी:
छात्राओं को सुबह स्कूल-कॉलेज लाने व दोपहर के समय घर छोड़ने के लिए दादरी रोड़वेज विभाग द्वारा स्पेशल बसें चलाई गई थी जिनमें चालक प्रशिक्षण की बसें शामिल थे। बाढड़ा में विभिन्न रूटों पर चलाई गई स्पेशल सात बसें छात्राओं के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई थी लेकिन बीते काफी समय ये बसें बंद होने के कारण छात्राएं लगातार परेशानी का सामना कर रही हैं।
दादरी डिपो में है बसों की कमी:
दादरी डिपो में रोडवेज के बेड़े में साल 2020 में कुल 177 बसे थी लेकिन काफी संख्या में बस कंडम होने के कारण वर्तमान में दादरी डिपों में मात्र 95 बसें बची हैं। इसी के चलते सरकार द्वारा छात्राओं के लिए भेजी गई स्पेशल गुलाबी बसें भी रूटों पर सवारियों के लिए चलाई जा रही है।
कंडम बसों की रिप्लेसमेंट नहीं होने से बनी समस्या: बस स्टैंड इंचार्ज
बाढड़ा बस स्टैंड प्रभारी बलबीर जाखड़ ने कहा कि जो बसें कंडम हुई है उनकी रिप्लेसमेंट नहीं होने के कारण बसों की कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि पहले जो सात बसें छात्राओं के लिए चलाई जा रही थी वे सभी कंडम हालात में बाढड़ा बस स्टैंड पर खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि यूनियन ने बसों की डिमांड भेज रखी है वो पूरी होते ही समस्या का समाधान स्वत: हो जाएगा।