कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों पर सरकार की सख्त नज़र है। जहां शिक्षा मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही कोचिंग सेंटरों के रेगुलेशन के लिए गाइडलाइंस जारी की है, वहीं केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने भी खुद संज्ञान लेते हुए कई कोचिंग सेंटरों को नोटिस जारी किया है। लोकसभा में कोचिंग सेंटरों के दावों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने बताया कि सीसीपीए ने कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ खुद संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है। इस संबंध में अथॉरिटी ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए कोचिंग संस्थानों को 32 नोटिस जारी किए हैं। इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय ने गाइडलाइंस तैयार कर सभी राज्यों को भेजा है ताकि राज्य कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर सकें।
शिक्षा मंत्रालय ने अपनी गाइडलाइंस में यह भी सिफारिश की है कि कोई भी कोचिंग संस्थान किसी भ्रामक विज्ञापन को प्रकाशित नहीं करेगा। पैरंट्स या स्टूडेंट्स से यह वादा नहीं किया जाएगा कि इस कोचिंग सेंटर में पढ़ने से रैंक आने की गारंटी होगी या फिर बहुत अच्छे नंबर आ ही जाएंगे। कोचिंग सेंटर को अपनी वेबसाइट पर टीचर्स से जुड़ी सारी जानकारी देनी होगी। फीस, फीस रिफंड पॉलिसी की जानकारी देनी होगी। 16 वर्ष से कम आयु के छात्रों का नामांकन नहीं किए जाने का निर्देश दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइंस ऑनलाइन कोचिंग सेंटरों पर भी लागू होगी। झूठे और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि गाइडलाइंस के तहत शिक्षा मंत्रालय को नियमों की जानकारी वेबसाइट पर जरूर देनी होगी। साथ ही एनुअल रिपोर्ट भी तैयार कर सौंपनी होगी।
कैसे लागू होंगी गाइडलाइंस?
शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है और कई राज्यों ने अपने संबंधित क्षेत्राधिकार में निजी कोचिंग और ट्यूशन क्लासेज़ को रेगुलेट करने के लिए लीगल फ्रेमवर्क के माध्यम से पहल की है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से पहले भी गाइडलाइंस जारी हुई हैं। लेकिन पिछले दिनों में जिस तरह से कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले सामने आए, उसके बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर से नए सिरे से गाइडलाइंस जारी की हैं। चूंकि हर राज्य के अपने नियम होते हैं और वे राज्य केंद्र सरकार की गाइडलाइंस को कैसे लागू करते है और कोचिंग सेंटरों को लेकर क्या रुख अपनाते हैं, यह सब आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा। देश में बहुत सारे छोटे-छोटे कोचिंग सेंटर भी हैं और उन सेंटरों को लेकर राज्य सरकार को कोई फैसला लेना होगा। गाइडलाइंस में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर टीचर की क्वॉलिफिकेशन, फीस, फीस वापसी समेत तमाम पहलुओं को लेकर बात की गई है। डमी स्कूलों का चलन भी बढ़ा है और बच्चे स्कूल ही नहीं जाते। राज्य सरकारों को इस मसले पर भी काफी शिकायतें मिल रही हैं।