हरियाणा में 2019 के बाद हुई सरकारी भर्तियों को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सरकार द्वारा सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए गए 5 बोनस अंकों को असंवैधानिक करार देते हुए, इन अंकों के आधार पर बनी मेरिट लिस्टों को रद्द करने के निर्देश दिए हैं।
इस फैसले से 10,000 से अधिक सरकारी कर्मचारी प्रभावित होंगे, जिन्हें अब संशोधित मेरिट के आधार पर दोबारा मूल्यांकन का सामना करना पड़ेगा।
⚖️ कोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट की जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी मेहता की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि:
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सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर अतिरिक्त अंक देना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (समान अवसर) के खिलाफ है।
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यह भी कहा गया कि योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया में इस तरह की छूट पूरी प्रक्रिया को दूषित कर देती है।
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कोर्ट ने सरकार की नीति को “त्रुटिपूर्ण और अवैज्ञानिक” बताया और कहा कि इसका कोई ठोस डाटा या सांख्यिकीय आधार नहीं था।
📌 नो-फॉल्ट थ्योरी: कर्मचारियों को राहत
हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि जिन अभ्यर्थियों को इन अंकों का लाभ मिला और जो चयनित हुए, उनकी कोई गलती नहीं थी।
इसलिए कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि:
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ऐसे कर्मचारियों को सीधे नौकरी से न निकाला जाए,
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बल्कि उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाए,
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और जब भी विभागों में नियमित पद खाली हों, उन्हें प्राथमिकता के साथ नियुक्त किया जाए।
🧮 क्या था सरकार का नियम?
वर्ष 2021 में खट्टर सरकार ने यह नीति लागू की थी, जिसमें ऐसे उम्मीदवारों को 5 अतिरिक्त अंक दिए गए थे:
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जिनके परिवार की सालाना आय 1.80 लाख रुपये से कम थी,
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और जिनके परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी सेवा में नहीं था।
सरकार का तर्क था कि यह नीति समाज के कमजोर वर्गों को अवसर देने और समानता सुनिश्चित करने के लिए लाई गई थी।
❌ कोर्ट ने सरकार के तर्क को क्यों खारिज किया?
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कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसी नीति जो केवल सामाजिक स्थिति के आधार पर अंक दे, वह योग्यता और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
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साथ ही यह आरक्षण की अधिकतम सीमा (50%) का उल्लंघन करती है, जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही तय कर चुका है।
⚠️ प्रभाव और आगे की राह:
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यह फैसला हरियाणा की भर्ती प्रक्रिया को नए सिरे से पुनः परिभाषित करेगा।
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हजारों युवा जो वर्षों से कार्यरत हैं, अब अनिश्चितता की स्थिति में हैं।
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सरकार को अब सभी भर्तियों की पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
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