Alakh Haryana Desk || हिसार 🎓 तीन दिन में रिजल्ट, 70% छात्र फेल — छात्रों में आक्रोश
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार में अंतिम सेमेस्टर के परिणाम को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। 23 जून को परीक्षाएं समाप्त हुईं और महज तीन दिन में 26 जून को परिणाम घोषित कर दिए गए। इसमें लगभग 70 प्रतिशत छात्र फेल करार दिए गए, जिससे छात्रों में भारी असंतोष फैल गया।
🚨 18वें दिन में प्रवेश कर चुका है छात्र आंदोलन
यह आंदोलन अब ऐतिहासिक बन चुका है। 10 जून से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब 18वें दिन में प्रवेश कर चुका है। वीरवार को भी बड़ी संख्या में छात्र विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे रहे।
📢 छात्रों का अल्टीमेटम: 1 जुलाई तक मांगें पूरी नहीं हुईं तो…
छात्रों ने स्पष्ट किया है कि अगर 1 जुलाई तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं हुईं तो 2 जुलाई से विश्वविद्यालय और सभी KVK (कृषि विज्ञान केंद्र) पूर्णतः बंद कर दिए जाएंगे। पहले छात्रों ने 27 जून को विश्वविद्यालय के चारों गेट बंद करने की योजना बनाई थी, लेकिन सरकार को एक और मौका देने की सोच से इसे टाल दिया गया।
🚱 प्रशासन की दबाव नीति: पानी, मेस, हॉस्टल सुविधाएं बंद
छात्रों का आरोप है कि प्रशासन दबाव बनाने के लिए नीतिगत रूप से अमानवीय कदम उठा रहा है:
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हॉस्टलों में पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई
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गर्ल्स हॉस्टल में वार्डन ने हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया
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मेस बंद, छात्रों को भोजन नहीं
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112 पर कॉल के बाद पुलिस की मदद से खाना मिला छात्राओं को
सोशल मीडिया पर छात्रों के द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो वायरल हो चुके हैं, जिनमें इन सभी घटनाओं की पुष्टि होती है।
👮 पिछले घटनाक्रम: लाठीचार्ज, चोटें, FIR और गिरफ्तारी
10 जून को स्कॉलरशिप में कटौती के विरोध में प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई छात्र घायल हुए। इसके बाद छात्रों और प्रशासनिक अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हुई और एक अधिकारी की गिरफ्तारी भी हुई। उसी दिन से छात्र वीसी को हटाने और अन्य मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं।
🧾 शिक्षा मंत्री से बातचीत, लेकिन लिखित आदेश नहीं
बुधवार को छात्रों की शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा से बातचीत हुई, जिसमें वीसी को छह महीने की छुट्टी पर भेजने पर सहमति बनी, लेकिन अभी तक कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया। छात्र लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं।
📣 यह सिर्फ छात्र आंदोलन नहीं, अब जन आंदोलन बन रहा है
छात्रों का कहना है कि यह आंदोलन अब सिर्फ परीक्षा परिणाम या वीसी तक सीमित नहीं है। यह छात्र कल्याण, मानवाधिकार और पारदर्शी प्रशासन की लड़ाई है। आंदोलन अब जन-आंदोलन का रूप ले चुका है, जिसे अनदेखा करना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।
❗ क्या कहता है विश्वविद्यालय प्रशासन?
अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन जिस तेजी से घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे यह स्पष्ट है कि मामला गंभीर रूप ले चुका है।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में छात्रों का आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। सरकार और प्रशासन को जल्द और पारदर्शी कदम उठाने होंगे, अन्यथा छात्रों के आक्रोश को संभालना मुश्किल हो सकता है।
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