चंडीगढ़, खट्टर सरकार द्वारा मानेसर लैंड स्कैम में आरोपी रिटायर्ड आईएएस अफसर टीसी गुप्ता को राइट-टू-सर्विस कमीशन का चीफ कमिश्नर नियुक्त किए जाने पर इंडियन नेशनल लोकदल के प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी ने सवालिया निशान उठाते हुए चंडीगढ़ से बयान जारी कर कहा कि भाजपा और भूपेंद्र हुड्डा की मिलीभगत का इससे बड़ा सबूत और क्या होगा कि सीबीआई द्वारा 31 मई को हरियाणा सरकार को भेजी गई स्टेट्स रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी टीसी गुप्ता मानेसर लैंड स्कैम मामले में आरोपी हैं और उनके खिलाफ जांच जारी है। लेकिन इसके बावजूद सीबीआई की स्टेट्स रिपोर्ट को दरकिनार करके गुप्ता को राइट-ट-सर्विस कमीशन का मुख्य आयुक्त बना दिया गया। भूपेंद्र हुड्डा और टीसी गुप्ता दोनों नियमों को ताक पर रखकर मानेसर में किसानों से डवलपमेंट के नाम पर सस्ती जमीन लेकर गैर कानूनी ढंग से बिल्डरों को देने जैसे बड़े घोटाले के आरोपी हैं। मानेसर लैंड स्कैम के वक्त भूपेंद्र हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते टीसी गुप्ता कंट्री एंड टाउन प्लानिंग विभाग के निदेशक थे।
इनेलो नेता ने कहा कि जिस चयन कमेटी द्वारा राइट-ट-सर्विस कमीशन का चीफ कमिश्नर नियुक्त किया जाता है, नेता प्रतिपक्ष उसका मेंबर होता है। नेता प्रतिपक्ष ने गुप्ता की नियुक्ती में अपनी सहमती दी है। इससे साफ जाहिर होता है कि खट्टर और हुड्डा दोनों मिले हुए हैं और हुड्डा ने ही भाजपा सरकार में गुप्ता को चीफ कमिश्नर नियुक्त करवाया है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने ही इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी और अब सीबीआई की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए आरोपी अफसर को एक अहम प्रशासनिक पद दिया है। यहां सोचने की बात यह है कि कांग्रेस सरकार में हुए बड़े घोटाले में तत्कालिन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ शामिल आईएएस अधिकारी जो 31 मई को ही हरियाणा सरकार से रिटायर हुए हैं, उसको मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उसी दिन शपथ दिलाई है।