नई दिल्ली / वॉशिंगटन D.C. | भारत में रात के 8 बजने ही वाले थे। देश की निगाहें टेलीविज़न स्क्रीन पर टिकी थीं—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को संबोधित करने वाले थे। माहौल गंभीर था, क्योंकि 22 अप्रैल को हुए दिल दहला देने वाले पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 100 से अधिक आतंकियों को ढेर किया था। लेकिन ठीक इसी समय, अमेरिका से एक चौंकाने वाला बयान आया।
व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया—“हमने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध टाल दिया। दोनों को समझाया कि अगर लड़ाई नहीं रोकी, तो व्यापार बंद कर देंगे।”
ट्रम्प ने जो कहा, वो मोदी के भाषण से ठीक पहले था और उसने देश-दुनिया की नज़रें अमेरिका की ओर मोड़ दीं। लेकिन जब भारत के प्रधानमंत्री ने माइक संभाला, तो उनका लहजा स्पष्ट था—“हम न्यूक्लियर ब्लैकमेल नहीं सहेंगे। हमला हुआ, तो मुंहतोड़ जवाब देंगे।”
मोदी ने 22 मिनट के अपने भाषण में ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति, आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति और पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को पूरी ताक़त से उजागर किया। उन्होंने कहा:
“हमने आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारा है। बेटियों का सिंदूर मिटाने वालों को मिटा दिया। न्यूक्लियर धमकियों के पीछे छिपे पाकिस्तान को अब समझ लेना चाहिए कि भारत पहले जैसा नहीं रहा।”
प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान से बातचीत सिर्फ आतंकवाद और POK पर होगी। वहीं दूसरी ओर ट्रम्प के दावे के अनुसार, सीजफायर की डोर अमेरिका ने खींची थी, और उन्होंने दोनों देशों को व्यापार की शर्त पर शांत किया।
ट्रम्प ने कहा—
“हमने भारत और पाकिस्तान को साफ कहा—अगर लड़ाई बंद नहीं की तो हम आपसे व्यापार नहीं करेंगे। मेरी टीम ने इस संकट को शांत किया। दुनिया अब पहले से ज्यादा सुरक्षित है।”
इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को एक नया मोड़ दिया है।
सीजफायर के 51 घंटे बाद भारत का बयान आया कि “कार्रवाई स्थगित हुई है, समाप्त नहीं”। और ट्रम्प के अनुसार—”हमने युद्ध रोका, अब व्यापार की बारी है।”
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