Mushroom, पश्चिम बंगाल के मालदा में मशरूम की खेती बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन कलस्टर सिस्टम पर काम शुरू करने जा रहा है. किसानों को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग बिल्कुल मुफ्त दी जाएगी.
सीएम ममता बनर्जी ने मालदा में एक प्रशासनिक बैठक में जिले में मशरूम की खेती पर जोर दिया. साथ ही मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को नि:शुल्क ट्रेनिंग देने के निर्देश दिए. और किसानों की टीम बनाकर मशरूम की खेती का विस्तार करने की पहल करने को कहा.
जिलाधिकारी नितिन सिंघानिया ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर अमल करते हुए किसानों और विशेषज्ञों के साथ बैठक की.उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों के एक सौ महिला और पुरुष सदस्यों के साथ एक क्लस्टर पहले ही बनाया जा चुका है.
इनमें से चुने गए दस किसानों को बीरभूम जिला भेजा जा रहा है. ये किसान वहां मुफ्त में मशरूम की खेती की ट्रेनिंग लेंगे और वापस आने के बाद अपने खेतों में मशरूम उगाएंगे. बीरभूम में मशरूम की खेती बहुत अच्छी होती है
मशरूम का स्पॉन गेहूं के बीज से बनता है, गेहूं के बीजों में विभिन्न प्रकार के रसायनों को मिलाकर मशरूम के बीज तैयार किए जाते हैं. इसके बाद एक ठंडे कमरे में घास, चूना और ब्लीचिंग पाउडर के मिश्रण को सिलेंडरों में फैलाया जाता है और उसके अंदर बीज बोए जाते हैं.
बाद में इस बीज को प्लास्टिक में लपेट कर लटका दिया जाता है. उस मिक्सिंग सिलेंडर से डेढ़ महीने में ही मशरूम अंकुरित हो जाता है. अगर मशरूम खाने योग्य है तो उसे काटकर बेचा जाता है. इस मशरूम की खेती से आर्थिक लाभ अच्छा होता है.