चंडीगढ़। पूरे देश के लिए वोकेशनल एजुकेशन का एक समान पाठ्यक्रम बनाया जाएगा। यह पाठ्यक्रम, क्रेडिट फ्रेमवर्क और मूल्यांकन के मानक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप होंगे। इन तीनों आयामों की ड्राफ्टिंग के लिए विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू की अध्यक्षता में गठित यूजीसी कमेटी की बैठक आयोजित हुई।
इस बैठक में सेंचुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की कुलपति प्रोफेसर सुप्रिया पटनायक, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस प्रोफेसर भूपिंदर गोदारा, आईआईटी मद्रास की प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस डॉ. वी आर ललीथंबिका, आईआईएम नागपुर के प्रोफेसर प्रशांत गुप्ता और समन्वयक अधिकारी के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की उप सचिव मोनिका उपस्थित रहे। कमेटी के अध्यक्ष डॉ. राज नेहरू ने बताया कि समिति अपनी सिफारिश शीघ्र ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को सौंप देगी।
इस बैठक में वोकेशनल एजुकेशन के प्रारूप पर व्यापक चिंतन-मंथन किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप देश में वोकेशनल एजुकेशन का एक समान प्रारूप बनाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। समिति के अध्यक्ष एवं श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने बताया कि वोकेशनल एजुकेशन उभरती प्रौद्योगिकी और उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार होनी बहुत आवश्यक है। इससे कोर्स रोजगारपरक होंगे और उद्योग को जॉब रेडी मानवीय संसाधन मिलेंगे। साथ ही वोकेशनल एजुकेशन में क्रेडिट फ्रेमवर्क का मानकीकरण भी होगा और मूल्यांकन के मानकों का भी निर्धारण होगा।
उन्होंने कहा कि ऑन द जॉब ट्रेनिंग, इंडस्ट्री इंटीग्रेशन, एंटरप्रेन्योरशिप जैसे आयाम वर्तमान में वोकेशनल एजुकेशन के लिए बहुत आवश्यक हैं। यह सब चीजें जुड़ेंगी तो उद्योग को भी फायदा होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने बताया कि वोकेशनल एजुकेशन के सिस्टम को समसामयिक और एकरूप बनाने को लेकर समिति अपनी सिफारिशें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेजेगी। इस महत्वपूर्ण बैठक में देश के नामचीन विशेषज्ञों ने अपने-अपने सुझाव दिए हैं। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आरएस राठौड़ ने बताया कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप बहुत से पहलुओं को पहले से ही अपने मॉडल में समाहित कर नए प्रयोग किए हैं।