सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली लॉ स्टूडेंट और इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया है। एक विवादित वीडियो को लेकर शुरू हुआ मामला अब 13 जून तक की न्यायिक हिरासत में बदल गया है। शुक्रवार को अलीपुर सीजेएम कोर्ट में पेशी के दौरान शर्मिष्ठा ने पुलिस की गाड़ी में चढ़ते हुए गुस्से में कहा – “ये लोकतंत्र नहीं है।”
📹 क्या है पूरा मामला?
पुणे की रहने वाली और सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स रखने वाली शर्मिष्ठा ने 14 मई को एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान बॉलीवुड सितारों की चुप्पी पर सवाल उठाए थे। वीडियो में उन्होंने कुछ फिल्मी हस्तियों को “हिपोक्रेट” (पाखंडी) कहा और धर्म विशेष पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। इस वीडियो पर पाकिस्तान से एक फॉलोअर के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने यह बात कही थी।
वीडियो वायरल होते ही भारी विरोध हुआ, जिसके बाद उन्होंने वीडियो डिलीट कर माफी मांगी। बावजूद इसके, कोलकाता पुलिस ने केस दर्ज कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।
🕵️♀️ कैसे हुई गिरफ्तारी?
कोलकाता पुलिस के अनुसार, वीडियो पोस्ट होने के बाद सोशल मीडिया पर नज़र रखी गई और उनके फोन नंबर को सर्विलांस पर डाला गया। लोकेशन ट्रैक कर पता चला कि शर्मिष्ठा हरियाणा के गुरुग्राम में हैं। बीती रात दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को उन्हें कोलकाता लाकर अलीपुर सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
🧕 “कट्टरपंथियों के निशाने पर हूं” – पनोली का दावा
गिरफ्तारी से पहले शर्मिष्ठा ने एक और वीडियो में दावा किया था कि उन्हें पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथियों से जान से मारने और बलात्कार की धमकियां मिल रही हैं। उनके परिवार को भी निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि उनकी नीयत देश के सैनिकों का समर्थन करने की थी, लेकिन उनकी बात को तोड़-मरोड़ कर सांप्रदायिक रंग दिया गया।
🧑🎓 कौन हैं शर्मिष्ठा पनोली?
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पुणे की लॉ यूनिवर्सिटी की छात्रा
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सोशल मीडिया पर कई संवेदनशील मुद्दों पर राय रखती रही हैं
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खुद को राष्ट्रवादी विचारधारा की समर्थक बताती हैं
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बीते एक साल में इंस्टाग्राम पर उनकी फॉलोइंग तेज़ी से बढ़ी है
⚖️ कानूनी प्रक्रिया अब क्या कहती है?
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, शर्मिष्ठा पर आईटी एक्ट, सार्वजनिक शांति भंग करने और धार्मिक भावनाएं भड़काने जैसी धाराएं लगाई गई हैं। अब जांच अधिकारी उनके बाकी सोशल मीडिया कंटेंट और कॉल डिटेल्स की भी जांच कर रहे हैं।
📌 निष्कर्ष:
शर्मिष्ठा पनोली का मामला एक बार फिर सोशल मीडिया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सांप्रदायिक संतुलन के बीच की उस पतली रेखा को उजागर करता है, जहां एक वीडियो लाखों दिलों को छू भी सकता है और कुछ को चोट भी पहुँचा सकता है।