हरियाणा सरकार ने खेलों में बढ़ते भ्रष्टाचार और सट्टेबाजी को रोकने के लिए विधानसभा में ‘हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम विधेयक 2025’ पेश किया है। इस विधेयक के तहत, यदि कोई व्यक्ति मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग में शामिल पाया जाता है, तो उसे कड़ी सजा भुगतनी होगी।
कड़े प्रावधान:
- न्यूनतम 3 साल की सजा, जिसे बढ़ाकर 5 साल तक किया जा सकता है।
- कम से कम 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
- बार-बार अपराध करने पर न्यूनतम 5 साल और अधिकतम 7 साल की सजा, साथ ही 7 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
पुराने कानून की जगह लेगा नया विधेयक
यह विधेयक 1867 के अप्रचलित सार्वजनिक जुआ अधिनियम को निरस्त करेगा, जिसे भारतीय विधि आयोग ने अपनी 249वीं रिपोर्ट में अप्रासंगिक बताया था। इसका उद्देश्य खेलों में पारदर्शिता बनाए रखना और धोखाधड़ी से जनता को बचाना है।
खिलाड़ी, अधिकारी और स्टाफ भी दायरे में
विधेयक के तहत मैच फिक्सिंग को ऐसे किसी भी कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें जानबूझकर किसी टीम या खिलाड़ी को अनुचित लाभ दिया जाए। इसमें खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन के लिए पैसे लेना, अंदरूनी जानकारी साझा करना, या खेल मैदान की परिस्थितियों को बदलना भी शामिल है। इसके अलावा, खेल अधिकारियों, कोचों, रेफरियों और ग्राउंड स्टाफ को भी इस कानून के तहत लाया गया है।
अवैध जुए से अर्जित संपत्ति होगी जब्त
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जुए या मैच फिक्सिंग से अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करता है, तो सरकार उसे जब्त कर सकेगी। जुआ से जुड़े अपराधों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कार्यकारी मजिस्ट्रेट और राजपत्रित पुलिस अधिकारियों को बिना वारंट तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने का अधिकार दिया गया है।
‘कौशल के खेल’ और ‘संभावना के खेल’ में अंतर
नए विधेयक में ‘कौशल के खेल’ और ‘संभावना के खेल’ को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिससे राज्य सरकार को यह तय करने की शक्ति मिलेगी कि कौन से खेल जुए की श्रेणी में आते हैं।
यह विधेयक हरियाणा में खेलों की निष्पक्षता बनाए रखने और सट्टेबाजी को रोकने के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा।