अलख हरियाणा न्यूज || ब्यूरो रिपोर्ट || वैसे तो पूरा देश सियासी संकट से गुजर रहा है लेकिन हरियाणा की स्थिति और भी बदतर है जातिवाद व क्षेत्रवाद के जाल में फँसी हरियाणा की सियासत डगमागाती सी चल रही है राजनीतिक पंडित कोई भी अंदाज़ा नहीं लगा पा रहे हैं । किसान आंदोलन का सबसे अधिक असर वाले हरियाणा सूबे की राजनीतिक ख़बरों के बीच पिछले दिनों एक खबर आई कि हरियाणा में एक और राजनीतिक दल जन्म ले चुका है। इस दल को लेकर कई तरह के क़यास लगाए गए। लेकिन अबतलक इसके पीछे कौन कौन सी ताकते हैं इसकी सही जानकारी किसी के पास नहीं हैं।
तमाम चर्चाओं के दरमियान चुनाव आयोग ने “ हरियाणा जनहित विकास पार्टी “ (“Haryana Janhit Vikas Party”) को नये दल के रूप में मान्यता दे ही दी है । सूत्रों की माने तो हरियाणा जनहित विकास पार्टी एक बड़े कार्यक्रम करने बना रही है। हरियाणा डे यानी की एक नवंबर का दिन इस कार्यक्रम के लिए निर्धारित किया गया है लेकिन इसकी अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। इस कार्यकम्र के स्थान को लेकर भी मंथन चल रहा है।
सूत्र बता रहे हैं इस बड़े कार्यक्रम में ही ये पार्टी अपने कैडर की घोषणा करेगी। पार्टी के संयोजक, अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, तीन महासचिव , सहसचिव, चार क्षेत्रिय संयोजक 22 ज़िला अध्यक्ष व प्रभारियों के साथ पार्टी के भारी भरकम कैडर की घोषणा करने प्लान किया जा रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि इस दल के साथ कुछ पूर्व में चुनाव लड़ चुके व राजनीतिक अनुभवी लोगों की टीम है। इससे अलावा एक सचेतक मंडल है जिसमें शिक्षाविद व अन्य क्षेत्रों के पारगंत व्यक्ति शामिल हैं। ऐसा भी माना जाता है कि यह दल आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के ज़रिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा । इस दल से प्रदेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा पर बरहाल इस दल के आने से हरियाणा की राजनीति के ठहरे पानी में हलचल तो हो गई है।