अलख हरियाणा न्यूज || आयेगी तो बीजेपी ही…कुछ हो जाए, जीतना तो बीजेपी को ही है…लोग तो फिर भी बीजेपी को ही वोट देंगे…
बार-बार आप लोगों ने ये जुमले सुने होंगे… लेकिन ये जुमले कितने खोखला है और हरियाणा में कैसे इन जुमलों की हवा निकल चुकी और भविष्य में इन जुमलों का क्या होगा…. आज इस रिपोर्ट में विस्तार से आपको बताएंगे।
2024 विधानसभा चुनाव में अब कम ही समय बचा है। 8 साल से सत्ता में बैठी बीजेपी के खिलाफ किसान, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी, बुजुर्ग और बच्चे समेत तमाम लोग आंदोलनरत हैं। लेकिन आप कहेंगे कि ये लोग तो पहले भी खिलाफत कर चुके हैं…. लेकिन फिर भी हरियाणा में जीती तो बीजेपी ही। लोगों ने तो फिर भी बीजेपी को ही वोट दी।
यहीं वो झूठ है, जिसके ऊपर सवार होकर बीजेपी 2024 चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। जबकि सच यह है कि हरियाणा की जनता ने तो बीजेपी को 2019 में भी बुरी तरह हराया था। 2019 में मोदी लहर में हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटें बीजेपी ने जीती। विधानसभा हलकों के हिसाब से देखें तो प्रदेश के 90 हलकों में से 79 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।
इसी से उत्साहित खट्टर ने 2019 विधानसभा चुनाव में अबकी बार 75 पार का नारा दिया था। लेकिन जनता ने बीजेपी को ऐसी पटकनी दी कि पार्टी मुश्किल से 40 का आंकड़ा छू पाई। सरकार इक्का-दुक्का मंत्रियों को छोड़कर सारे चुनाव हार गए।
जनता ने बीजेपी को इतनी बड़ी हार का मुंह तब दिखाया, जब बीजेपी के सामने विपक्ष मृतप्राय था। कांग्रेस में भयंकर गुटबाजी थी। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के तब के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ने जो ड्रामा किया, उसने कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुंचाया। ऊपर से तंवर, कुलदीप बिश्नोई जैसे पार्टी के ही कई नेताओं ने बीजेपी के हिसाब से अपने कोटे के उम्मीदवारों को टिकट दी। तंवर, कुलदीप, सैलजा, सुरजेवाला और किरण चौधरी ने अपने कोटे से लगभग 40 उम्मीदवारों को टिकट दी। लेकिन उनमें से 2 या 3 उम्मीदवार ही विधायक बन पाए। हालांकि हुड्डा कोटे से बांटी गई 50 टिकटों में से आधे से ज्यादा उम्मीदवार विधायक बने।
मोदी लहर, गुटबाजी, पार्टी के नेताओं की बीजेपी से सेंटिग, मीडिया में 75 पार का प्रचार और फर्जी ओपिनियन पोल के बावजूद कांग्रेस को चुनाव में 31 सीटें मिलीं। चुनावी नतीजों ने सबको चौंका दिया था और हरियाणा की जनता ने बता दिया था कि वो बीजेपी से छुटकारा चाहती है।
अगर जनता वक्त रहते समझ जाती की जेजेपी को वोट देकर वो बीजेपी को ही सत्ता में लाने जा रही है तो आज बीजेपी मुश्किल से 20 सीटें भी नहीं जीत पाती। क्योंकि प्रदेश में ऐसी बहुत सारी सीटें हैं जहां बीजेपी की सहयोगी जेजेपी ने विपक्ष की वोट बांटकर बीजेपी को जिताने में मदद की।
2019 के नतीजे और आज के हालात को देखकर कांग्रेस काफी उत्साहित है। क्योंकि कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर अब खींचतान नहीं है, स्पष्ट हो चुका है कि भूपेंद्र हुड्डा और चौधरी उदयभान के नेतृत्व में ही कांग्रेस चुनाव में जाएगी।
बीजेपी से सेटिंग करके टिकट बांटने वाले कुलदीप बिश्नोई जैसे नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। पार्टी में बचे ऐसे एक दो नेता शायद आने वाले दिनों में बीजेपी का दामन थाम लेंगे। यानी कांग्रेस अब अपनी सारी टिकटें जिताऊ उम्मीदवारों को ही बांट सकेगी।
2019 के विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष बिखरा हुआ था। कांग्रेस में गुटबाजी थी, इनेलो के टुकड़े हो चुके थे। इनेलो और जेजेपी एक दूसरे पर बीजेपी की बी टीम होने के आरोप लगाते थे। जेजेपी ने जनता को पता ही नहीं चलने दिया कि उसकी असली मंशा क्या है।
लेकिन अब जनता की नजर में तस्वीर साफ हो चुकी है। 2024 का मुकाबला सीधा बीजेपी और कांग्रेस के बीच होने जा रहा है। अब जेजेपी जैसा दल हरियाणा की जनता को बरगला नहीं सकता। आदमपुर उपचुनाव ने यह भी बता दिया कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। मीडिया और सोशल मीडिया के अलावा आप की जमीन पर कोई उपस्थिति नहीं है।
बीजेपी की मुश्किल यह भी है कि नौकरियों में पारदर्रशिता का जो ढोल वो पीटती थी, उसका भांडा भी फूट चुका है। एक के बाद एक भर्तियों मे घोटाले सामने आ रहे हैं। बीजेपी नेताओं पर सरेआम आरोप लग रहे हैं। सरकार दूसरे कार्यकाल में भर्ती ही नहीं कर पा रही है। बेरोजगारी के मामले में हरियाणा लगातार देश में पहले पायदान पर बना हुआ है।
बीजेपी के लिए मुश्किल यह भी है कि उनके नेता राजकुमार सैनी द्वारा बीजेपी के लिए शुरू की गई 35 बनाम एक की मुहिम भी फेल हो चुकी है। 2019 में ही इस रणनीति की हवा निकल चुकी है। उसके बाद आदमपुर उपचुनाव, बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस ने जमकर दलित और पिछड़ों की वोट लीं। 2019 में 75 पार और आदमपुर में 1 लाख पार के नारे की जिस तरह जनता ने हवा निकाली है, यह बीजेपी के लिए 2024 में खतरे की घंटी साबित होने जा रहा है।