देशभर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर सेना के साहस की सराहना हो रही है, वहीं मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के एक बयान ने सियासी हलकों में नई आग लगा दी है। जबलपुर में सिविल डिफेंस वालिंटियर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान डिप्टी सीएम ने प्रधानमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि “पूरा देश, देश की वो सेना, वो सैनिक… उनके चरणों में नतमस्तक है।” इस बयान को लेकर कांग्रेस ने तीखी आपत्ति जताई और इसे सेना के शौर्य का अपमान बताया।
क्या कहा डिप्टी सीएम ने?
कार्यक्रम के दौरान डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने कहा:
“जब तक जिन माताओं के सिंदूर को मिटाने का काम आतंकवादियों ने किया है, उनका बदला नहीं लिया जाएगा, तब तक चैन नहीं मिलेगा… प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहेंगे… और पूरा देश, देश की वो सेना, वो सैनिक… उनके चरणों में नतमस्तक है।”
उनके इस बयान को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि सेना को किसी नेता के चरणों में नतमस्तक दिखाना अपमानजनक है।
डिप्टी सीएम की सफाई
विवाद गहराने पर डिप्टी सीएम ने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि कांग्रेस उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है:
“मैंने कहा था कि देश की जनता सेना के चरणों में नतमस्तक है — यह सम्मान की भावना है, न कि किसी तरह का अपमान। जिन्होंने इसे विकृत किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
प्रियंका गांधी वाड्रा (सांसद, कांग्रेस):
“भाजपा के नेताओं की ओर से लगातार हमारी सेना का अपमान अत्यंत शर्मनाक है।”
सुप्रिया श्रीनेत (राष्ट्रीय प्रवक्ता, कांग्रेस):
“सेना प्रधानमंत्री के चरणों में नतमस्तक है — यह कहना सेना के पराक्रम का घोर अपमान है।”
विवेक तन्खा (राज्यसभा सांसद):
“प्रधानमंत्री और जनता सेना के प्रति नतमस्तक है, उल्टा कहकर सेना का मनोबल मत गिराइए।”
भाजपा की प्रतिक्रिया:
प्रदेश प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने कहा —
“कांग्रेस को देश की सेना और प्रधानमंत्री दोनों के प्रति सम्मान नहीं है। उनका नजरिया दुर्भावनापूर्ण है।”
पृष्ठभूमि में ‘कर्नल सोफिया’ बयान
इससे पहले एमपी के मंत्री विजय शाह भी सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी कर चुके हैं। उनका बयान —
“मोदी जी ने उनकी बहन भेजकर बदला लिया…” — न सिर्फ महिला सैनिक के लिए आपत्तिजनक था बल्कि इसे सामाजिक स्तर पर भी व्यापक आलोचना मिली।
हाईकोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है और मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है।
क्या कहती है सैन्य गरिमा?
भारतीय सेना एक “गणराज्य की सेना” है — किसी दल या व्यक्ति विशेष की नहीं। सेना के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना स्वाभाविक है, पर भाषा की गरिमा आवश्यक है। ‘चरणों में नतमस्तक’ जैसे शब्दों का राजनीतिक प्रसंगों में प्रयोग, सेना की गैर-राजनीतिकता को प्रभावित कर सकता है — यही चिंता कांग्रेस और पूर्व अधिकारियों की है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना की वीरता और रणनीतिक क्षमता का प्रमाण है। इस पर राजनीतिक लाभ की कोशिशें या विवादास्पद टिप्पणियां, उसकी गरिमा को ठेस पहुंचा सकती हैं। नेताओं को वक्तव्यों में सतर्कता और संतुलन का परिचय देना होगा ताकि जनता की श्रद्धा, सेना का सम्मान और लोकतंत्र की मर्यादा तीनों सुरक्षित रहें।