Goldy brar-Lawrence bishnoi, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने गोल्डी बराड़, लॉरेंस बिश्नोई, काला झटेदी और संपत नेहरा के गैंगों द्वारा संचालित तीन वसूली मॉड्यूल का भंडाफोड़ कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। इन आपराधिक गिरोहों से जुड़े आठ लोगों की गिरफ्तारी की गई है
जिसमें एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का भी खुलासा किया गया है जो गैंग में नाबालिगों को शामिल करता था और अवैध उगाही के पैसों से अय्याशी करते थे और विदेशों में निवेश करते थे।
विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय गिरोह दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और राजस्थान में सक्रिय था।
गिरोह ने एक ऐसी कार्यप्रणाली विकसित की थी जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उनके विदेशी धन का पता लगाना मुश्किल हो गया था। रैकेट के भीतर प्रत्येक सदस्य की भूमिका और जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से तय थीं।
सिंडिकेट के बिचौलिये सटोरियों, जुआरी, रियल एस्टेट डीलरों, बिल्डरों, भूमि हड़पने वालों और ज्वैलर्स जैसे धनी व्यक्तियों को निशाना बनाते थे। इसके लिए उनकी वित्तीय स्थिति और पैसा दे सकने की क्षमता को देखा जाता था।
यादव ने कहा, एक बार शिकार का नाम तय हो जाने के बाद गिरोह उन्हें डराने और धमकाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हुए फोन कॉल, चिट्ठी या आमने-सामने जाकर मांग करता था। वसूली के पैसे को हवाला चैनलों के माध्यम से विदेशों में स्थानांतरित कर दिया जाता था।
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अपनी रणनीति को आगे बढ़ाने के लिए गिरोह ने हरियाणा, राजस्थान या दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों से 15 से 20 वर्ष की आयु के किशोरों की भर्ती की। इन अपरिपक्व युवकों को गिरोह का सदस्य होने का लालच दिया गया। इनसे इंटरनेट आधारित प्लेटफॉर्म से संपर्क किया गया था।
यादव ने कहा, उन्हें विशिष्ट स्थानों पर पहुंचने के निर्देश दिए गए थे और नकाबपोश या नकली पहचान वाले व्यक्तियों द्वारा हथियार और रसद प्रदान की जाती थी। नए भर्ती किए गए सदस्यों को शिकार के निवास या व्यवसाय के स्थान पर निगरानी रखने का काम सौंपा जाता था।