हरियाणा हिसार में जिस घर में बेटियों की शादी का रंगीन टेंट लगा था। उनकी सादगी भरी विदाई के बाद वहां मां के शोक में सफेद पर्दा लगा दिया गया है।एक मां की अंतिम इच्छा उसकी अंतिम सांस लेने के साथ अधूरी रह गई। वह अपनी दोनों बेटियों को खुद डोली में बैठाकर विदा करना चाहती थी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। नम आंखों से गमगीन माहौल में बेटियों की डोली उठने के बाद सावित्री की अर्थी उठी। जिस घर में कुछ घंटों पहले तक नाच-गाना और गीत-संगीत गूंज रहा था, वहां अब महिलाओं के रुदन और चीख-पुकार सुनाई दे रही है।
मिली जानकरी के अनुसार यह झकझोर देने वाली घटना हिसार के भारत नगर में हुई है, जहां 55 वर्षीय विधवा सावित्री रहती थी। सावित्री ने गुरुवार को उपचार के दौरान नागरिक अस्पताल में दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है की मृतक महिला कैंसर पीड़ित थी ।जुलाई माह उसकी बेटी किरण व संतोष की सगाई हुई थी। एक बेटी का रिश्ता करनाल के मूनक तो दूसरी का हिसार के कैमरी में हुआ था। शादी 20 नवंबर को होनी थी। इसी दौरान सावित्री को पेट में कैंसर होने का पता चला, जिसकी आखिरी स्टेज थी। उसे पता था कि अब उसके पास दिन कम बचे हैं, इसलिए वह बेटियों को खुद डोली में बैठाकर विदा करना चाहती थी। उसने 1 सितंबर को दोनों बेटियों की शादी करने का फैसला किया था।
शुक्रवार को दोनों बेटियों की शादी हुई है। इस दौरान बड़ी बहन पिंकी समेत अन्य रिश्तेदारों ने सभी रस्में निभाईं। बेटियों के विदा होने के बाद उन्हें मां की मौत के बारे में पता चला तो फूट-फूटकर रोने लगीं। छोटी बेटी संतोष मां के अंतिम दर्शन करने ससुराल से कुछ देर बाद ही घर लौट आई।
मां कहां हैं? उनकी तबीयत कैसी है? शादी में आएंगी क्या? इन तमाम सवालों के साथ किरण व संतोष की रात गुजरी। परिजन एक ही जवाब देते रहे कि अस्पताल में भर्ती है, ठीक है। डॉक्टर डिस्चार्ज करेंगे, तभी घर लाएंगे। गुरुवार दोपहर को सावित्री का शव घर लाने के बजाय श्मशान घाट के डी-फ्रीजर में रखवा दिया था। दोनों बेटियों के ससुरालजनों को मामले से अवगत करा दिया गया था। इसलिए बिना बैंड बाजा परिवार के चंद लोगों के साथ दूल्हे पहुंचे थे।