हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी भरी खबर जारी की है। कम नायब सैनी ने ट्रांसमिशन परियोजनाओं से प्रभावित भूमि मालिकों के उचित मुआवजा देने हेतु एक नई मुआवज़ा नीति शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य भूमि मालिकों, विशेष रूप से किसानों और ट्रांसमिशन यूटिलिटीज़ के बीच लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को हल करना है।
हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड को ट्रांसमिशन लाइनों की स्थापना के दौरान भूमि मालिकों, विशेषकर किसानों व लाईन निर्माण ईकाई मे गतिरोध रहा है जिससे की इस अहम व आधारभूत निर्माण मे विलम्ब हो रहा है। इस नीति के क्रियान्वयन से अब आधारभूत निर्माण में तेजी आएगी।
विदित है कि ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एफ.नं 3/4/2016-ट्रांस-पार्ट (4) दिनांक 14 जून 2024 के तहत ट्रांसमिशन लाइनों के लिए राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) के मुआवजे हेतु जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप हरियाणा सरकार ने इस नीति को मंजूरी दी है।
नई नीति में किए गए प्रावधान
भूमि अधिग्रहण के बिना भूमि मूल्य के 200 प्रतिशत की दर पर टावर बेस एरिया का मुआवजा देना, जहाँ ट्रांसमिशन टावर स्थापित किए जाते हैं। इसके विपरीत, पिछली नीति में टावर बेस एरिया के लिए मुआवजा भूमि मूल्य के 100 प्रतिशत की दर पर निर्धारित किया गया था।
ट्रांसमिशन लाइन कॉरिडोर के लिए भूमि मूल्य के 30 प्रतिशत की दर पर राइट ऑफ वे कॉरिडोर के लिए मुआवजे का प्रावधान है। इसके विपरीत, पिछली नीति में राइट ऑफ वे कॉरिडोर के लिए मुआवजा शामिल नहीं था।
किसानों के लिए फसलों का मुआवजा पूर्व नीति के अनुसार ही दिया जाएगा। मुआवजे की दरें भूमि के सर्किल रेट अथवा कलेक्टर रेट के आधार पर निर्धारित की जाएंगी।
इसके अलावा, जहां भूमि के मार्किट रेट सर्किल/कलेक्टर रेट से अधिक होते हैं, वहां मुआवजे की गणना करने हेतु भूमि दर निर्धारित करने के लिए जिला स्तर पर उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, जिला राजस्व अधिकारी और अधीक्षण अभियंता (एचवीपीएनएल) की एक ‘उपयोगकर्ता समिति’का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नई नीति से किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे में पर्याप्त वृद्धि होगी और इसका उद्देश्य प्रभावित भूमि मालिकों के लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित करते हुए ट्रांसमिशन लाइनों के कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करना है। इस पहल से राज्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलने और इसके बहुमुखी विकास में योगदान मिलने की उम्मीद है।