📌 गुरुकुलों वाले गांवों में ठेकों पर रोक
हरियाणा सरकार ने अपनी नई एक्साइज पॉलिसी 2025 के तहत स्पष्ट किया है कि अब उन गांवों में शराब के ठेके नहीं खोले जाएंगे, जहां पर गुरुकुल संचालित हैं। सरकार का मानना है कि गुरुकुल भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां विद्यार्थियों को संयम, ब्रह्मचर्य और नशामुक्त जीवन की शिक्षा दी जाती है।
यह निर्णय गांवों में नैतिक और सांस्कृतिक वातावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
📍 ग्रामीण क्षेत्रों में सख्त नियम, शहरी इलाकों में मिली छूट
नई नीति के अनुसार ग्रामीण इलाकों में शराब ठेकों की संख्या और दूरी को लेकर कड़े नियम लागू किए गए हैं:
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500 से कम आबादी वाले गांवों में कोई ठेका नहीं खुलेगा।
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500 से 5000 तक की आबादी वाले गांवों में एक ठेका खोला जा सकेगा।
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ग्रामीण क्षेत्रों में हर 2 किलोमीटर में सिर्फ 1 ठेका की अनुमति होगी।
वहीं शहरी इलाकों में कॉलेजों से शराब के ठेकों की दूरी घटाकर 75 मीटर कर दी गई है। पहले यह दूरी 150 मीटर थी। इस फैसले को लेकर शिक्षण संस्थानों के पास शराब की उपलब्धता पर सवाल भी उठने लगे हैं।
💸 अंग्रेजी शराब की कीमतों में 15% तक बढ़ोतरी संभव
नई नीति के तहत एक्साइज ड्यूटी और ठेकों की रिजर्व प्राइस में वृद्धि की गई है। इसके चलते अंग्रेजी शराब के दामों में लगभग 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
सरकार को इससे अतिरिक्त राजस्व की उम्मीद है, लेकिन आम उपभोक्ता की जेब पर असर पड़ना तय है।
⏰ शराब बिक्री के समय में भी हुआ बदलाव
सरकार ने शराब बिक्री के लिए समय सीमा भी तय कर दी है:
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ग्रामीण क्षेत्र:
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अप्रैल से अक्टूबर: सुबह 8 बजे से रात 11 बजे तक
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नवंबर से मार्च: सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक
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शहरी क्षेत्र:
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पूरे साल: सुबह 8 बजे से रात 12 बजे तक
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इस बदलाव का उद्देश्य है कि स्थानीय कानून-व्यवस्था और सामाजिक शांति बनी रहे।
🧭 सरकार का तर्क: नशामुक्ति और सामाजिक सुधार
हरियाणा सरकार का कहना है कि यह नीति राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। खासकर गुरुकुलों और छोटे गांवों को शराब के प्रभाव से दूर रखने का प्रयास नशामुक्त समाज की दिशा में सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
🔍 निष्कर्ष: संतुलन बनाना होगा जरूरी
जहां एक ओर नीति ग्रामीण इलाकों और गुरुकुलों को सुरक्षित करने की ओर बढ़ रही है, वहीं शहरी इलाकों में कॉलेजों के पास शराब ठेकों की अनुमति को लेकर नैतिक और सामाजिक चिंताएं सामने आ रही हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में यह नीति सकारात्मक परिणाम देती है या विवादों का कारण बनती है।