हरियाणा। रोहतक में सामाजिक कार्यकत्ता नवीन जयहिंद के बाग़ पर अलसुबह प्रशासन का बुलडोजर चलने का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार एचएसवीपी विभाग और पुलिस विभाग के साथ कई विभागों के अधिकारी सुबह ही सेक्टर 6 स्थित नवीन जयहिंद के घर पहुंचे। इसके बाद प्रशासन ने नववें जयहिंद का घर खाली करवा लिया और बुलडोजर के द्वारा चारदीवारी और मेन गेट सहित साथ में बने रूम को ढहा दिया। जिसके बाद नवीन जयहिंद और उनके समर्थकों ने भरी संख्या में इसका विरोध किया।
जानकरी के अनुसार नवीन जय हिंद एडवोकेट राजवीर राठी की जमीन पर किराए पर रहते हैं। इस बाग की जमीन को लेकर हाईकोर्ट में केस चल रहा था। जिसके बाद केस का फैसला प्रशासन के पक्ष में आ गया था। इसके बाद प्रशासन ने दावा किया था कि सेक्टर-6 में करीब 9 एकड़ जमीन अधिग्रहण की जाएगी। जिसका जयहिंद ने विरोध भी जताया था और कहा था कि सरकार व विभाग द्वारा कोर्ट में गलत तथ्य पेश किए गए है। इसलिए वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।पुलिस ने जबरन बाग को खाली करवाया और गिराना शुरू कर दिया। नवीन जयहिंद ने पहले कहा था कि वह पेड़ों को किसी भी सूरत में कटने नहीं देंगे।
बाग की जमीन पर बुलडोजर चलने को लेकर नवीन जयहिंद ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि बाग से ही सरकार के खिलाफ जनता की आवाज बुलंद होती है। इसलिए बाग को खाली करवाने का सरकार लगतार प्रयास कर रही है। 22 अक्टूबर को इसी बाग में एसवाईएलके मुद्दे को लेकर नवीन जयहिंद ने महापंचायत भी बुलाई है। एडवोकेट राजबीर राठी ने कहा करीब 1200 किसानों ने सरकार के खिलाफ भूमि अधिग्रहण को लेकर लड़ाई लड़ने का फैसला लिया और इसका जिम्मा सभी ने मिलकर नवीन जयहिंद को सौंपा है।
मामला ये था कि रोहतक के सेक्टर 6 एरिया की जमीन 2002 में अधिग्रहण गयी थी। इस एरिया में नवीन जयहिंद का बाग का एरिया भी शामिल था। उसके बाद 2008 में इस जमीन से हुडा विभाग ने 300 एकड़ जमीन रिलीज कर दी। जिसमें लोगों ने एक-एक बार मुआवजा उठा लिया था। जमीन को अधिग्रहण समझकर मुआवजा ले लिया था। उनकी करीब 300 एकड़ जमीन वापस कर ली गई, जो खाली थी। वहीं इस जमीन पर जब कब्जा करने प्रशासन आया तो हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। इसी आधार पर स्टे मिला था कि उन लोगों की जमीन रिलीज कर दी तो इनकी रिलीज करने में क्या दिक्कत है। 2012 में हुडा डिपार्टमेंट ने हाईकोर्ट का स्टे होने के बाद भी प्लाट अलाट कर दिए। प्लाट धारकों के साथ भी विभाग ने धोखा किया। इसके बाद कोर्ट में केस चल रहा था और फैसला हुडा के पक्ष में आ गया।