अलख हरियाणा डॉट कॉम || हरियाणा सूबे की मनोहर सरकार ने गुपचुप तरीके से सरकारी कर्मचारियों पर से वो रोक हटा ली जिसमें उनको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RRS ) के कार्यक्रमों में भाग लेने पर मनाही थी। 54 बरस पहले 1967 में रही हरियाणा सूबे की सरकार ने यह रोक लगाईं थी। मनोहर सरकार ने उस आदेश को वापस ले लिया है अब सरकार के कर्मचारी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अन्य संगठनों की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे।
गौरतलब है कि साल 1967 की अधिसूचना में आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया गया था। मार्च,4 ,1970 को, हरियाणा सरकार ने 1967 के निर्देशों पर रोक लगा दी थी क्योंकि ‘आनंद मार्ग’ के कार्यकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में सरकारी कर्मचारियों को इसकी गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित सेवा नियमों को चुनौती दी थी। 2 अप्रैल 1980 को हरियाणा के मुख्य सचिव के कार्यालय ने नए निर्देश जारी कर स्पष्ट किया कि आरएसएस या जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों से जुड़े सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। तब से, आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध लागू था क्योंकि इसे आज तक हरियाणा सरकार ने कभी भी निरस्त या संशोधित नहीं किया गया था।
हरियाणा सूबे के सामान्य प्रशासन विभाग ने बीते सोमवार को जारी आदेश में कहा, ‘हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी आचरण) नियम, 2016 के प्रभाव में आने के साथ, दिनांक 2.4.1980 और… दिनांक 11.1.1967 के सरकारी निर्देश को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाता है क्योंकि वे अब प्रासंगिक नहीं हैं।’
हरियाणा की मनोहर सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी आदेश को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘अब हरियाणा के कर्मचारियों को संघ की शाखाओं में भाग लेने की छूट। सरकार चला रहे हैं या भाजपा-आएसएस की पाठशाला।’