सुप्रीम कोर्ट ने कुश्ती महासंघ चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ की चुनाव कार्यवाही पर रोक लगाने वाले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि उनको समझ नहीं आ रहा कि उच्च न्यायालय द्वारा चुनाव की पूरी प्रक्रिया को कैसे रद्द किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव कराने की अनुमति देते हुए कहा कि चुनाव के नतीजों को रिट याचिका में अदालत के समक्ष कार्यवाही के अंतिम परिणाम के अधीन किया जाए। कोर्ट ने रिटर्निंग ऑफिसर को संशोधित चुनाव कार्यक्रम तैयार करने को कहा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि चुनाव के नतीजे रिट याचिका में पारित आदेशों के अधीन होंगे।
आपको बता दें कि पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चुनाव पर अगस्त में अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। कुश्ती संघ के लिए 12 अगस्त को चुनाव होना था। इस चुनाव हेतु चार उम्मीदवार अध्यक्ष पद पर, जबकि तीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष, 6 उपाध्यक्ष, तीन महासचिव, दो कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और 9 उम्मीदवार कार्यकारी सदस्य पद के लिए मैदान में थे। 15 पदों पर 30 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था। अध्यक्ष पद पर एक महिला ने भी आवेदन किया था।
दरअसल हाईकोर्ट द्वारा चुनाव को रद्द इसलिए किया गया था क्योंकि अध्यक्ष पद पर नामांकन करने वाले संजय सिंह के खिलाफ बजरंग पुनिया सहित अनेकों प्रदर्शनकारी पहलवानों ने ऐतराज जताया था। क्योंकि संजय को कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे बृजभूषण शरण सिंह का करीबी बताया जाता है। जिसके बाद यह मामला कोर्ट तक पहुंचा था।
इसके बाद पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से भी मुलाकात कर ये मुद्दे उठाया था। प्रदर्शनकारी पहलवान अध्यक्ष पद की एकमात्र महिला उम्मीदवार अनीता श्योराण का समर्थन कर रहे थे। अनीता राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता और बृज भूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में गवाह थीं। डब्ल्यूएफआई कार्यकारी समिति के सदस्यों की सूची में एकमात्र महिला उम्मीदवार अनीता श्योराण ओडिशा का प्रतिनिधित्व कर रही थीं।