हरियाणा में पराली जलाने और इससे वायु गुणवत्ता तथा स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों से निपटने के लिए हरियाणा सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मुख्य सचिव डॉ. टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने उपायुक्तों से प्रदेश को पराली जलाने से मुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने का आह्वान किया है।
मंडल आयुक्तों तथा फतेहाबाद, जींद, कैथल, अंबाला, सिरसा, कुरुक्षेत्र, करनाल, हिसार, सोनीपत और यमुनानगर के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों के साथ एक वर्चुअल बैठक के दौरान डॉ. प्रसाद ने हॉटस्पॉट की पहचान करने और पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक उपाय लागू करने के लिए ब्लॉक स्तर पर चार सदस्यीय कमेटी बनाने के निर्देश दिए। इस कमेटी में संबंधित एस.डी.एम./बी.डी.ओ./तहसीलदार, एक कृषि विकास अधिकारी और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार तथा पुलिस विभाग का एक-एक अधिकारी शामिल होगा। समिति को हर रोज शाम 5 बजे तक निगरानी एवं समन्वय विभाग को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से हर एक रोज स्थिति की निगरानी करेंगे और किसी भी परिस्थिति में पराली जलाने के एक भी मामले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि धान की पराली जलाने से रोकने में अच्छा प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा।
डॉ. टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने कहा कि धान की पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने उपायुक्तों को किसानों से जुड़ने और उन्हें जिम्मेदार फसल अवशेष प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रोत्साहन योजना के बारे में अवगत करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम के लिए रात्रि गश्त करने की आवश्यकता भी जताई। इसके अलावा, उन्होंने किसानों को धान की पराली जलाने के खिलाफ प्रेरित करने के लिए आढ़तियों को शामिल करने पर भी बल दिया।
मुख्य सचिव ने पराली जलाने और वायु गुणवत्ता तथा स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों से निपटने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि इस गंभीर मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करके सहयोगी दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के अधिकतम उपयोग के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया। कस्टम हायरिंग सेंटर पर उपलब्ध इन मशीनों का उपयोग इन-सीटू और एक्स-सीटू पराली प्रबंधन प्रथाओं के लिए किया जा रहा है, जिससे पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। इसके अतिरिक्त, धान की पराली के निरंतर उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा रहा है। इसके तहत किसानों को ऐसे विकल्प उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य हैं।
बैठक में बताया गया कि 2024 के चालू कृषि चक्र में, हरियाणा में धान की खेती का क्षेत्र बढ़कर 15.73 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप बासमती और गैर-बासमती किस्मों के धान की पराली के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2024 में बासमती धान की पराली का उत्पादन 4.06 मिलियन टन तक पहुँच गया है। इसी तरह, गैर-बासमती धान की पराली का उत्पादन बढ़कर 4.04 मिलियन टन हो गया है। इस प्रकार हरियाणा में अब धान की पराली का कुल उत्पादन 8.10 मिलियन टन है।
धान की पराली जलाने के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और इसके औद्योगिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, हरियाणा ने विभिन्न एक्स-सीटू विधियों पर ध्यान केंद्रित किया है। वर्ष 2024 के लिए, विभिन्न क्षेत्रों में औद्योगिक उपयोग के लिए कुल 2.54 मिलियन टन धान की पराली आवंटित की गई है।
एक्स-सीटू के प्रमुख क्षेत्रों में औद्योगिक बॉयलर और भट्टियाँ शामिल हैं, जिनमें 1.03 मिलियन टन पराली और बायोमास-आधारित बिजली उत्पादन में 0.83 मिलियन टन का उपयोग हुआ है। संपीड़ित बायोगैस (सी.बी.जी.) संयंत्रों ने भी 0.1 मिलियन टन के अनुप्रयोग के साथ धान की पराली का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जबकि 2जी बायो-इथेनॉल संयंत्रों ने 0.2 मिलियन टन का उपयोग किया है। थर्मल पावर प्लांट (टी.पी.पी.) में को-फायरिंग में 0.28 मिलियन टन और ईंट भट्टों और विविध उद्योगों में 0.10 मिलियन टन का उपयोग किया गया।
बैठक में पर्यावरण, वन एवं वन्य प्राणी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आनंद मोहन शरण, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री पी. राघवेंद्र राव और बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजा शेखर वुंडरू और सी.सी.एच.ए.यू., हिसार के कुलपति प्रो. बी.आर. कंबोज ने वर्चुअल माध्यम से बैठक में भाग लिया।