चंडीगढ़: हरियाणा सरकार अब कामचोर और लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने जा रही है। सरकार ऐसे कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त (Forced Retirement) करने की योजना बना रही है। इसके लिए सभी सरकारी विभागों से 50 से 55 साल की उम्र और 25 साल की सेवा पूरी कर चुके कर्मचारियों का डेटा मांगा गया है।
मुख्य सचिव कार्यालय ने मांगा रिकॉर्ड
हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय ने सभी प्रशासनिक विभागाध्यक्षों, सचिवों, हाईकोर्ट रजिस्ट्रार, उपायुक्तों और मंडलायुक्तों को पत्र भेजकर उन कर्मचारियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जो पिछले तीन सालों में समय पूर्व सेवानिवृत्त (Premature Retirement) किए गए हैं।
इसके लिए विभागों को एक प्रोफार्मा भी भेजा गया है, जिसमें कर्मचारियों के नाम, पदनाम, सेवा अवधि और सेवानिवृत्ति से संबंधित अंतिम निर्णय की तारीख जैसी जानकारी भरने के निर्देश दिए गए हैं।
2019 में लाई गई थी जबरन रिटायरमेंट पॉलिसी
2019 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने जबरन सेवानिवृत्ति नीति (Forced Retirement Policy) में संशोधन किया था। इसके अनुसार:
- किसी कर्मचारी का पिछले 10 वर्षों का प्रदर्शन संतोषजनक तभी माना जाएगा, जब उसे कम से कम 7 बार एसीआर में “अच्छा” या “बहुत अच्छा” ग्रेड मिला हो।
- यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी इस मानदंड को पूरा नहीं करता और उसने 25 साल की सेवा पूरी कर ली है, तो उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है।
ग्रुप A, B और C कर्मचारियों की होगी समीक्षा
सरकार ने ग्रुप A, ग्रुप B और ग्रुप C के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग मापदंड तय किए हैं:
- ग्रुप A और ग्रुप B के 50 साल से अधिक उम्र के अधिकारियों की समीक्षा होगी।
- ग्रुप C के 55 साल से ज्यादा उम्र के कर्मचारियों का प्रदर्शन जांचा जाएगा।
- मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी इन मामलों का अंतिम निपटारा करेगी।
सरकार की सख्ती से घबराए लापरवाह कर्मचारी
हरियाणा सरकार के इस फैसले से कामचोरी करने वाले कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह कदम सरकारी तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने और जनहित में सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
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