हरियाणा। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2014 से लगातार महात्मा गांधी के ग्राम्य विकास के बिना स्वराज की कल्पना नहीं की जा सकती के मूलमंत्र पर चलते हुए ग्राम विकास की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किया गया है। इससे न केवल गांवों में विकास की तस्वीर बदली है बल्कि शहरों जैसी सुविधाएं मिली हैं। लाल डोरा खत्म करने के लिए आरंभ की गई स्वामित्व योजना भी लोगों को खूब रास आ रही है। जिन मकानों में लोग वर्षों से रह रहे हैं, लेकिन उनके कभी मालिक नहीं बन पाए, आज मनोहर सरकार ने उन्हें 80 रुपये में रजिस्ट्री देकर मकानों का मालिकाना हक दिया है।
जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस योजना की परिकल्पना की थी तो किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस योजना को पूरे देश में लागू करने की घोषणा कर सकते हैं। आज प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के तहत हरियाणा के 6260 गांवों में लाल डोरे के भीतर 25.17 लाख प्रॉपर्टी कार्ड बनाये गए हैं।
ग्राम पंचायतों को किया सशक्त
गांवों को विकसित करने और विकास कार्यों में तेजी लाने हेतु मुख्यमंत्री ने शक्तियों का विकेंद्रीकरण करने का निर्णय लिया। राज्य सरकार ने ग्रामीण आंचल के गतिशील विकास हेतु पंचायती राज संस्थाओं का सशक्तिकरण करते हुए पंचायतों को स्वायत्ता प्रदान की ताकि वे अपने स्तर पर ही विकास कार्य करवा सकें। इसके लिए पंचायतों को प्रशासनिक व वित्तीय शक्तियां प्रदान की गई। साथ ही, सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग-ए को 8 प्रतिशत आरक्षण दिया है। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने अंतर जिला परिषद का गठन कर पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद को विभिन्न प्रकार के छोटे विकास कार्य करने के लिए अधिकृत किया है। बड़ी परियोजनाएं मुख्यालय स्तर पर सरकार द्वारा की जा रही हैं।
ग्राम सचिवालयों को किया सुदृढ, आईटी सुविधाएं भी दी
मुख्यमंत्री ने ई-गवर्नेंस की अवधारणा को मुख्यालय व जिला सचिवालयों में लागू करने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में साकार करने की परिकल्पना के तहत गांवों में सचिवालय स्वरूप ग्राम सचिवालय स्थापित करने की पहल की। अब तक 1856 ग्राम सचिवालय खोले जा चुके हैं और शेष की प्रक्रिया जारी है। इन ग्राम सचिवालयों में पटवारी, पंचायत सचिव, सरपंच इत्यादि के बैठने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, इनमें अटल सेवा केंद्र भी खोले गए हैं, ताकि गांवों के लोग सरकार की ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ एक ही छत के नीचे प्राप्त कर सकें। मुख्यमंत्री की इस सोच की ग्रामीण खुले मन से प्रशंसा कर रहे हैं कि उन्हें तहसील व जिला मुख्यालयों के कार्यालयों के चक्कर काटने से मुक्ति मिली है। इसका जिक्र मुख्यमंत्री के जन संवाद कार्यक्रमों में भी लोग कर रहे हैं।
पंच से जिला परिषद के अध्यक्ष तक का मानदेय बढ़ाकर मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों का किया है सम्मान
मुख्यमंत्री का मानना है कि छोटी सरकारों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का प्रतिदिन विधायक, सांसदों व मंत्रियों की तरह जनता से मिलना होता है और कभी –कभी आयोजन भी अपने स्तर पर करना होता है। प्रतिदिन की इस खर्च की प्रतिपूर्ति करने के लिए मुख्यमंत्री ने पंच से लेकर जिला परिषद के अध्यक्षों के मासिक मानदेय में अभूतपूर्व वृद्धि की है। अब पंचों को 1600 रुपये, सरपंचों को 5,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है।
मुख्यमंत्री ने जिला परिषद के अध्यक्षों का मानदेय 10,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये, उपाध्यक्ष का मानदेय 7,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये और सदस्यों का मानदेय 3,000 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये किया है। इसके अलावा, पंचायत समिति के अध्यक्षों का मानदेय 7,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये, उपाध्यक्ष का मानदेय 3,500 रुपये से बढ़ाकर 7,000 रुपये तथा सदस्यों का मानदेय 1,600 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये किया है।
ग्रामीण सफाई कर्मचारियों व चौकीदारों का भी रखा ख्याल
मुख्यमंत्री ने पंचायती राज संस्थानों के जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ ग्रामीण सफाई कर्मचारियों व गांवों व प्रशासन के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति ग्रामीण चौकीदारों का भी ख्याल रखा है। वर्तमान राज्य सरकार ने ग्रामीण सफाई कर्मचारियों का मानदेय 15,000 रुपये प्रतिमाह किया है, जो 2014 में 8,100 रुपये था। इसी प्रकार, ग्रामीण चौकीदारों का भी 3,500 रुपये से बढ़ाकर 11,000 रुपये प्रतिमाह किया है। इतना ही नहीं, गांवों के नम्बरदारों का भी मासिक मानदेय बढ़ाकर 3,000 रुपये किया है। इसके अलावा, मनरेगा मजदूरों की प्रतिदिन मजदूरी भी बढ़ाकर 357 रुपये की है।
हरियाणा सरकार ने विगत 9 वर्षों में लगातार ग्रामीण विकास पर विशेष फोकस किया है, जिसका परिणाम अब दिखाई दे रहा है। गांवों में सफाई व्यवस्था व जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ सामुदायिक केंद्र और पार्क एवं व्यायामशालाओं की स्थापना कर ग्राम्य जीवन की रूपरेखा में नया बदलाव आया है। ग्राम विकास के माध्यम से ही स्वराज की अवधारणा को साकार किया जा सकता है, इस मूलमंत्र के साथ राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है।