नई दिल्ली।चंद्र विजय करने के बाद से चांद की कई खूबसूरत तस्वीरें चंद सेकंड में ही हमारे पास आने लगी थी, ऐसे ही लोगों को इंतजार है कि वो पास से सूर्य की तस्वीरें ले सकें। इसलिए इसरो द्वारा सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाने हेतु अपना सूर्य मिशन आज लॉन्च कर दिया है। आज 11 बजकर 50 मिनट पर भारत ने अपना आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च कर दिया है इसकी मदद से सूर्य से जुड़े बहुत सारे राज खुलेंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक यान अगले पांच सालों तक हर मिनट तस्वीरें भेजेगा जिसकी मदद से सूर्य के अध्ययन में आसानी होगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक पहली तस्वीर फरवरी महीने में सामने आ जाएगी।
आपको बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने आज अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च कर दिया है। यह सूर्य मिशन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से 11.50 पर लॉन्च किया गया है। गौरतलब है कि आदित्य एल-1 का पहला पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ लक्षित ऑर्बिट में पहुंचकर रोजाना एक हजार से अधिक तस्वीरें भेजेगा, जो अध्ययन में मददगार साबित होंगे। भारत अपने सेटेलाइट को लांग्रेंजियन-1 बिंदु पर स्थापित करने के लिए आदित्य-एल1 लॉन्च किया गया है। दरअसल, सोलर-अर्थ सिस्टम में कुल पांच लांग्रेज बिंदु है, जहां आदित्य एल1 जा रहा है।यह ऑर्बिट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है, जहां पहुंचने के लिए यान को कुल 4 महीने का समय लगेगा। गौरतलब है कि पृथ्वी से एल 1 की दूरी, सूर्य से पृथ्वी की दूरी का केवल 1 प्रतिशत हिस्सा है।
आदित्य-एल1 मिशन भारत का पहला सौर मिशन है। इस मिशन के जरिए इसरो चांद से जुड़े कई रहस्यों पर से पर्दा उठाने वाला है। इस मिशन पर देश के साथ ही पूरी दुनिया की नजर है। दरअसल, इस मिशन से सूरज की बाहरी परत कोरोना, कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य में होने वाले शक्तिशाली विस्फोट), प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियां और उनकी विशेषताएं, सौर तूफान की उत्पत्ति आदि कारकों का अध्ययन किया जाएगा।इसके अलावा, आखिर अंतरिक्ष के मौसम पर सूर्य की गतिविधियों का क्या प्रभाव पड़ेगा इस बात की जानकारी भी इकट्ठा किया जाएगा।
आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने बताया है, “तस्वीर चैनल की ओर से हर मिनट एक तस्वीर भेजी जाएगी यानी 24 घंटों में लगभग 1,440 तस्वीर सामने आएंगी।” गौरतलब है कि यान की मदद से पहली तस्वीर फरवरी महीने में सामने आ जाएगी।
वीईएलसी पेलोड, आदित्य-एल1 पर सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण रहा पेलोड है। IIA अधिकारियों के मुताबिक, 190 किलोग्राम का वीईएलसी पेलोड अगले पांच सालों तक हर मिनट एक तस्वीर भेजेगा।अनुमान लगाया गया है कि इस उपग्रह का आयु पांच साल होगी। दरअसल, ईंधन की खपत के आधार पर इस बात का अंदाजा लगाया गया है, लेकिन आने वाले समय में कम या ज्यादा भी हो सकता है।