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साढ़े तीन सौ दिनों बाद खुला बसताड़ा टोल, किसानों ने रिबन काटकर किया शुरू, अब बढ़ा शुल्क देने के बाद ही मिलेगी क्रॉसिंग

अलख हरियाणा डॉट करनाल

किसान आंदोलन के कारण के कारण 354 दिनों से बंद बसताड़ा टोल प्लाजा सोमवार को शुरू हो गया। इसकी शुरुआत किसानों ने रिबन काटकर की। अब दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर बसताड़ा टोल से से गुजरने वाले वहां को बढ़ा हुआ शुल्क अदा करना पड़ेगा। 25 दिसंबर 2020 से टोल बंद था। किसान आंदोलन के खत्म होने की घोषणा के बाद बसताड़ा टोल को शुरू करने के लिए टोल कंपनी एक्टिव हो गई थी।

बता दें कि 5 दिसंबर 2020 को एनएचएआई ने टोल कंपनी सोमा रोडीज को हटा दिया था। इसके बाद हाइवे ऑथोरिटी ने टोल वसूली का जिम्मा ईगल कंपनी को दिया, लेकिन 25 दिसंबर को टोल फ्री होने की वजह से टोल चालू नहीं हो पाया। टोल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बसताड़ा टोल से रोजाना 30 से 35 हजार छोटे वाहन गुजरते हैं।रोजाना 8 से 10 हजार बड़े व भारी वाहनों की क्रॉसिंग होती है। टोल फ्री होने से पहले बसताड़ा टोल से सरकार को प्रतिदिन करीब 70 लाख का राजस्व मिल रहा था। 25 दिसंबर 2020 से टोल फ्री होने से सरकार को 2 अरब 48 करोड़ से अधिक हानि हुई।

नेशनल हाई वे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्ट वीरेंद्र सिंह ने बताया कि पहले तो हम किसानों को बधाई देना चाहेंगे। किसानों की मांगे पूरी हुई है। जो किसान यहां पर थे, उन्होंने किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधि नहीं की। शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन पूरा किया। टोल की व्यवस्था पूरी तरह से तैयार है। किसानों ने अपनी सहमति जता दी है।

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