सिरसा: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सिरसा जिले में सांगठनिक रूप से बड़ा बदलाव करते हुए दो जिलाध्यक्ष नियुक्त किए हैं। इस फैसले के जरिए पार्टी ने चौटाला परिवार के मजबूत राजनीतिक प्रभाव वाले इलाके में अपने संगठन को विस्तार देने की रणनीति बनाई है। सिरसा और डबवाली के लिए अलग-अलग जिलाध्यक्ष नियुक्त करने से बीजेपी को मजबूत करने में सहायता मिलेगी और पार्टी के अंदर जारी गुटबाजी पर भी कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा।
बीजेपी में खेमेबाजी बनी चुनौती
सिरसा जिले में बीजेपी के भीतर कई गुट सक्रिय हैं। इनमें मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार रह चुके जगदीश चोपड़ा, पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल, और गोबिंद कांडा का खेमा प्रमुख रूप से शामिल है। जब भी टिकट या पद बांटने की बात आती है, तो यह गुटबाजी सक्रिय हो जाती है। इस बार भी पार्टी में अंदरूनी खींचतान को देखते हुए यतिंद्र सिंह को दोबारा सिरसा जिलाध्यक्ष और रेणु शर्मा को डबवाली जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
बीजेपी के सामने चुनौतियां
बीजेपी के लिए सिरसा और डबवाली दोनों जगह संगठन का विस्तार और चुनावी जीत सुनिश्चित करना कठिन चुनौती बना हुआ है। 1996 के बाद बीजेपी सिरसा में विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई है। हालांकि, नगर परिषद चुनाव में पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की है, लेकिन विधानसभा स्तर पर पार्टी अभी भी संघर्षरत है।
डबवाली में चौटाला परिवार का दबदबा
डबवाली में चौटाला परिवार का पिछले 25 वर्षों से प्रभुत्व रहा है। इनमें से 20 वर्षों तक इनेलो (INLD) के विधायक ही जीतते रहे हैं। 2019 में कांग्रेस के अमित सिहाग विधायक बने थे, लेकिन वे भी पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के परिवार से ही हैं। ऐसे में बीजेपी को यहां अपने संगठन को मजबूत करने की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
सिरसा में कांडा परिवार का प्रभाव
बीजेपी की सिरसा में जीत का गणित कांडा परिवार पर निर्भर करता है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी को सिरसा में पूर्व मंत्री गोपाल कांडा और उनके भाई गोबिंद कांडा के समर्थन पर निर्भर रहना पड़ा है।
- 2021 में ऐलनाबाद उपचुनाव के दौरान बीजेपी ने गोबिंद कांडा को उम्मीदवार बनाया था।
- 2024 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गोपाल कांडा के समर्थन से अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया।
- नगर परिषद चुनाव में भी कांडा परिवार की मदद से बीजेपी को जीत मिली।
बीजेपी के लिए आगे की राह
बीजेपी के नए जिलाध्यक्षों के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी संगठन को मजबूत करना और चौटाला परिवार के प्रभाव वाले इलाकों में अपनी पकड़ बनाना है। इसके लिए उन्हें स्थानीय कार्यकर्ताओं को एकजुट करना और जमीनी स्तर पर पार्टी को सक्रिय करना होगा। आने वाले चुनावों में सिरसा और डबवाली की राजनीति बीजेपी के लिए कितनी सफल होगी, यह इन नए जिलाध्यक्षों की रणनीति और पार्टी नेतृत्व की नीतियों पर निर्भर करेगा।
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