alakh haryana भारत में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का मुख्य उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना था। इस अधिनियम के तहत छात्रों को कक्षा में रोकने (फेल) की नीति समाप्त कर दी गई थी, जिसे “नो-डिटेंशन” नीति कहा गया। हालांकि, अब केंद्र सरकार ने RTE नियम, 2010 में संशोधन करते हुए इस नीति में बदलाव किया है।
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Toggleक्या है नया संशोधन?
संशोधित नियमों के अनुसार, राज्य सरकारें अब कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए हर शैक्षणिक वर्ष के अंत में वार्षिक परीक्षा आयोजित कर सकेंगी। अगर छात्र इस परीक्षा में पास नहीं होते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा। यह संशोधन “नो-डिटेंशन” नीति को बदलते हुए छात्रों को असफल होने पर रोकने की अनुमति देता है।
किन राज्यों ने लागू किए नए नियम?
इस संशोधन के बाद देशभर में इसकी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ राज्य इसे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के कदम के रूप में देख रहे हैं। गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और दिल्ली ने इस नीति को पहले ही लागू करने का फैसला लिया है। इन राज्यों में अब कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए परीक्षा में पास होना अनिवार्य होगा। जो छात्र इन परीक्षाओं में असफल होंगे, उन्हें उसी कक्षा को दोबारा करना होगा।
उद्देश्य और प्रभाव
सरकार का कहना है कि यह कदम छात्रों को शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाएगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति बच्चों पर मानसिक दबाव भी डाल सकती है।
यह बदलाव शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए एक अहम कदम है, लेकिन इसके परिणाम पूरी तरह से तभी देखने को मिलेंगे जब इसे सही तरीके से लागू किया जाएगा।