nakliyatnakliyatankara evden eve nakliyatlokmanakliyatpeletkazanimaltepe evden eve nakliyatevden eve nakliyatgölcük evden eve nakliyateskişehir emlakankara gülüş tasarımıtuzla evden eve nakliyateskişehir uydu tamirtuzla evden eve nakliyatistanbul evden eve nakliyateskişehir uydu tamireskişehir uydu tamirvalizweb sitesi yapımıkorsan taksiMedyumlarMedyumEtimesgut evden eve nakliyatEtimesgut evden eve nakliyatmaldives online casinoMedyumseo çalışmasıgoogle adsEtimesgut evden eve nakliyatMapseskişehir web sitesiseo fiyatlarıMetafizikMedyumAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika Eşya alanlarAntika Eşya alanlarantikaikinci el kitap alanlarİzmir Medyumweb sitesi yapımıantika alan yerlerantika alan yerlerkitap alan yerlerkitap alan yerlerbalık turudijital danışmanlıkmarsbahismarsbahis giriş twittergoogle ads çalışmasımarsbahismarsbahismarsbahismarsbahisEskişehir Web Tasarım
  • Sat. Jun 14th, 2025

Delhi Assembly Election 2025: कैसे 3 सीटों तक सिमटी बीजेपी ने दिल्ली को दिया पहला मुख्यमंत्री

Byalakhharyana@123

Jan 7, 2025
Delhi Assembly Election 2025: How BJP, reduced to 3 seats, gave Delhi its first Chief Minister

दिल्ली की राजनीति में बीजेपी का सफर: 1993 से अब तक

दिल्ली की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का सफर 1993 से अब तक कई उतार-चढ़ावों से भरा हुआ है। 1993 में पहली बार दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी ने मदन लाल खुराना के नेतृत्व में सत्ता हासिल की। हालांकि, इसके बाद पार्टी को सत्ता में वापसी करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

1993: पहली जीत और सत्ता का आगमन

1993 में हुए पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 47.82% वोट शेयर के साथ 49 सीटें जीतीं और मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस 34.48% वोट शेयर के साथ 14 सीटों पर सिमट गई। इस जीत के साथ बीजेपी ने दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत शुरुआत की।

1998-2008: कांग्रेस का वर्चस्व और बीजेपी का संघर्ष

1998 से 2008 तक कांग्रेस ने दिल्ली की राजनीति पर अपना कब्जा जमाए रखा। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार तीन चुनाव (1998, 2003, 2008) जीते। इस दौरान बीजेपी का वोट शेयर 34% से 36% के बीच रहा, लेकिन पार्टी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी।

  • 1998 चुनाव: कांग्रेस ने 47.75% वोट शेयर के साथ 52 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी 34% वोट शेयर के साथ सिर्फ 15 सीटों पर सिमट गई।

2013: आम आदमी पार्टी का उदय और त्रिशंकु विधानसभा

2013 में आम आदमी पार्टी (AAP) के उदय ने दिल्ली की राजनीति में नया अध्याय जोड़ा। बीजेपी ने 32.19% वोट शेयर के साथ 31 सीटें जीतीं, जबकि AAP ने 29.49% वोट शेयर के साथ 28 सीटें हासिल कीं। कांग्रेस का वोट शेयर गिरकर 24.55% रह गया और वह केवल 8 सीटें जीत सकी। इस त्रिशंकु विधानसभा में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।

2015: आप की प्रचंड जीत और बीजेपी की हार

2015 के चुनावों में AAP ने 54.3% वोट शेयर के साथ 67 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की। बीजेपी 32.2% वोट शेयर के साथ सिर्फ 3 सीटें ही जीत सकी। कांग्रेस का प्रदर्शन और भी खराब रहा; उसे 9.7% वोट मिले और वह शून्य पर सिमट गई। इस हार ने बीजेपी को अपनी चुनावी रणनीतियों पर गंभीरता से विचार करने पर मजबूर कर दिया।

2020: वोट शेयर बढ़ा लेकिन सीटें नहीं

2020 में बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 38.5% हो गया, लेकिन पार्टी सिर्फ 8 सीटें जीत सकी। वहीं, AAP ने 53.6% वोट शेयर के साथ 62 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 4.26% रह गया और वह एक बार फिर शून्य पर रही।

दिल्ली में बीजेपी की सत्ता में वापसी न कर पाने के कारण

दिल्ली में बीजेपी की सत्ता में वापसी कई कारणों से मुश्किल साबित हुई। इनमें प्रमुख कारण थे:

1. स्थिर नेतृत्व की कमी

बीजेपी के पास एक स्थिर और लोकप्रिय चेहरा नहीं था। हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया था, लेकिन उनके बाद पार्टी कोई ऐसा प्रभावी चेहरा नहीं ढूंढ पाई, जो दिल्ली के मतदाताओं को आकर्षित कर सके।

2. कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन

कांग्रेस के कमजोर होने का प्रभाव बीजेपी पर भी पड़ा। विपक्ष में एक मजबूत भूमिका निभाने की जिम्मेदारी अकेले बीजेपी पर आ गई।

3. AAP की बढ़ती लोकप्रियता

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में AAP ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे मुद्दों पर काम करते हुए दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। उनके ‘काम के आधार पर वोट’ की धारणा ने बीजेपी को चुनौती दी।

4. वोट शेयर और सीटों का असंतुलन

हालांकि बीजेपी का वोट शेयर धीरे-धीरे बढ़ा, लेकिन सीटों में इसका अनुकूल परिणाम नहीं दिखा। 2020 में 38.5% वोट शेयर के बावजूद पार्टी सिर्फ 8 सीटें जीत सकी।

दिल्ली में बीजेपी के मुख्यमंत्री और उनका कार्यकाल

दिल्ली में बीजेपी के तीन नेताओं ने मुख्यमंत्री पद संभाला:

  1. मदन लाल खुराना (1993-1996): उनके कार्यकाल में सड़कों, फ्लाईओवर और सार्वजनिक परिवहन के विकास पर जोर दिया गया।
  2. साहिब सिंह वर्मा (1996-1998): उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रयास किए और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया।
  3. सुषमा स्वराज (अक्टूबर 1998 – दिसंबर 1998): सुषमा स्वराज ने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।

दिल्ली में बीजेपी का सफर 1993 से अब तक कई बदलावों और चुनौतियों से भरा रहा है। हालांकि पार्टी ने शुरुआती दौर में सत्ता में अपनी जगह बनाई, लेकिन AAP और कांग्रेस के वर्चस्व ने बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी को मुश्किल बना दिया। अब 2025 के चुनावों में बीजेपी अपनी रणनीतियों और नेतृत्व को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश कर रही है। क्या बीजेपी इस बार दिल्ली की सत्ता में वापसी कर पाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Hacklinkbetsat
betsat
betsat
holiganbet
holiganbet
holiganbet
Jojobet giriş
Jojobet giriş
Jojobet giriş
casibom giriş
casibom giriş
casibom giriş
xbet
xbet
xbet
kavbet
extrabet
extrabet giriş
deneme bonusu veren bahis siteleri
casino siteleri
deneme bonusu veren siteler
deneme bonusu veren siteler
casibom
casibom giriş
casibom
casibom giriş
Sightcare
gamdom
gamdom giriş
madridbet
grandpashabet
marmaris escort
fethiye escort
fethiye escort
fethiye escort
fethiye escort
meritking
deneme bonusu veren siteler
escortbayan escortTürkiye Escort Bayanbuca escortMarkajbet TwitterShowbet TwitterBetlesene TwitterBetlesene Giriş Twittermarsbahisfethiye escortcasibom girişbets10 girişbettilt twittercasibomslot sitelerijojobetfethiye escortfethiye escortfethiye escortfethiye escortfethiye escortmarsbahismarsbahisnakitbahis