Haryana, हरियाणा के यमुना नगर जिले के दंगला गांव के निवासी धर्मवीर कंबोज दिल्ली में रिक्शा चलाते थे उनके एक्सीडेंट के बाद उन्होंने रिक्शा चलाना छोड़ खेती की. खेती में उन्होंने इतना नाम कमाया कि उन्हें राष्ट्रपति ने अपने मेहमान के तैर पर राष्ट्रपति 20 दिनों तक भवन में ठहराया.
आज ये लाखों किसानों के साथ- साथ, युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बन गए है. गरिबी ने इनसे पढ़ाई छिनी लेकिन हौसले नहीं. दिल्ली के स्थानीय बाजार से प्रोसेसिंग फल उत्पादों, जैसे जूस और जैम को ऊंचे दामों पर बेचते हैं.
इससे देख उनको समझ आ गया की किसानों को अधिक लाभ के लिए उपज नहीं उससे बने उत्पाद बेचने चाहिए. यह आइडिया उनके दिमाग में बैठ गया. सड़क दुर्घटना के बाद वो अपने गांव आए और इस आइडिया पर काम किया.
इसी बीच उन्होंने जैविक खेती से संबंधित प्रयोग शुरू किए. उन्होंने कहा कि शुरुआत में मुश्किल हुई, लेकिन फिर खेती में मुनाफा होने लगा. एक समय उन्होंने एक एकड़ से उस समय 70 हजार की टमाटर बेची, इस सफलता के बाद वे मशरूम, स्ट्रॉबेरी की खेती भी करने लगे. जिससे उनको मुनाफा हुआ. इसके बाद पूरा ध्यान खेती पर लगाया और सब्जी फसलों की खेती के साथ औषधि फसल, एलोवेरा, तुलसी की खेती आधुनिक तरीके से किया .
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2004 में एक बार उनके गांव के किसान अजमेर गए. जिसमें वे भी शामिल थे, वहां उन्होंने देखा कि वहां महिलाएं आंवले की मिठाई बना रही थीं और वो एलोवेरा की प्रोसेसिंग के बाद उसका अर्क निकाल रही थी. इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि किसी भी सब्जी, फल, फूल आदि की खेती में फायदा तब होता है, जब किसान अपनी उपज को सीधे बाजार में बेचने के बजाय उसे प्रोसेस कर उत्पाद बनाकर बेचता है.
इसके बाद धरमवीर ने अपने उपज का प्रोसेसिंग करने निर्णय लिया, इसके बाद उन्हें खुद की मशीन बनाई और काम शुरू कर दिया. वो यही नहीं रुके इसके बाद उन्होंने मल्टी प्रोसेसिंग मशीन’ बनवाई और मशीन से एलोवेरा का जूस निकालने, जूस बनाने तक का काम किया.
सब्जियों का छिलका उतारने, कटाई करने, उबालने का काम किया. साथ ही कंबोज ने बताया कि वे तुलसी का तेल, सोयाबीन का दूध, हल्दी का अर्क तैयार करते हैं. गुलाब जल, जीरे का तेल, पपीते और जामुन का जैम आदि सहित कई उत्पाद तैयार करते हैं.