Haryana News : हरियाणा में निजी स्कूल संचालकों ने स्कूली वाहन में दुर्घटना होने के बाद दोष से बचने का रास्ता भी निकाल लिया है। महेंद्रगढ़ में स्कूल बस हादसा होने के बाद कुछ स्कूल संचालक बसों को सुधारने की बजाय अपनी जिम्मेदारी से बचने के रास्ते ढूंढ़ रहे हैं।
दाखिला फार्म में ही स्कूल के नियमों में एक लाइन जोड़कर अभिभावकों से इस संदर्भ में अंडरटेकिंग ली जा रही है। ‘मैं छात्रों के परिवहन के दौरान होने वाली किसी भी दुर्घटना के लिए स्कूल अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराऊंगा। भ्रमण के दौरान/स्कूल जाने या वापस आने के दौरान और यह पूरी तरह से मेरे अपने जोखिम और जिम्मेदारी पर है। वहीं अभिभावक भी अनजाने में हस्ताक्षर कर रहे हैं।
वहीं कुछ प्ले-वे स्कूलों ने भी यही रास्ता अपना रहे हैं। प्रदेश में करीब 15 हजार निजी स्कूल हैं, जिनके करीब 41 हजार वाहन बच्चों को लाने-ले जाने के लिए परिवहन विभाग के पास पंजीकृत हैं। इनमें से भी 15 से 20 प्रतिशत वाहनों की तीन-चार वर्ष से पासिंग नहीं हुई।
वहीं अभिभावक एकता संघ के जिलाध्यक्ष दिनेश नरूला का कहना है कि दाखिले के समय स्कूल संचालक केवल सुविधाओं और उपलब्धियों का गुणगान करते हैं। इसी दौरान खुद ही बच्चे का फार्म भरकर तुरंत हस्ताक्षर करा लेते हैं। अभिभावकों को फार्म पढ़ने का भी समय नहीं देते। अनजाने में अभिभावक ठगे जा रहे हैं।
इस मामले को लेकर परिवहन विभाग के निरीक्षक सुरेंद्र सैनी का कहना है कि यदि किसी स्कूल बस का हादसा होता है और सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के मानकों को बस पूरा नहीं करती तो मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार स्कूल पर कार्रवाई होती है। यदि बच्चे अभिभावकों की सहमति से लगे निजी ऑटो या किसी अन्य वाहन में स्कूल जाते हैं और इस वाहन का हादसा होता है तो स्कूल से बाहर हादसा होने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती।
वहीं कुरुक्षेत्र के जिला शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा ने कहा कि स्कूल संचालक अंडरटेकिंग लिखवाने से भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं।