Nuh Violence, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने नूंह हिंसा पर टिप्पणी की है। आयोप ने कहा कि पिछले दिनों हरियाणा के नूंह और कुछ अन्य स्थानों पर हुई हिंसा कोई संगठित अपराध की घटना नहीं थीं और इसे प्रशासन की विफलता भी नहीं कहा जा सकता, लेकिन उसके स्तर पर कुछ कमियां जरूर रहीं।
आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि हिंसा में स्थानीय लोग शामिल नहीं थे। वहीं सोशल मीडिया के जरिये फैलाए गए दुष्प्रचार में कुछ नौजवान उत्तेजना के शिकार हो गए जिस पर समाज को ध्यान देने की जरूरत है।
उनके मुताबिक, पिछले दिनों आयोग के एक दल ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा कर विभिन्न समुदायों के लोगों तथा प्रशासनिक अधिकारियों से बात की। बता दें कि 31 जुलाई को भीड़ द्वारा विश्व हिंदू परिषद की शोभायात्रा को रोकने के प्रयास के बाद हुई सांप्रदायिक झड़प हुई थी। इस हिंसा में दो होमगार्ड कर्मी सहित छह लोगों की मौत हो गई थी और इसकी आंच गुरुग्राम तक फैल गई थी।
लालपुरा ने कहा था, आयोग का दल नूंह और सोहना गया था। हमने दोनों समुदायों के लोगों और प्रशासन के अधिकारियों से बात की। लोगों का कहना है कि हिंसा करने वाले लोग बाहरी थे। स्थानीय मुसलमानों ने मंदिरों की रक्षा की तो हिंदुओं ने मस्जिदों की रक्षा की। यह सद्भाव वहां देखने को मिला था।
उन्होंने कहा कि यह हिंसा कोई संगठित अपराध की घटना नहीं थी, लेकिन सोशल मीडिया के जरिये किए गए दुष्प्रचार से चीजें बिगड़ीं। लालपुरा ने एक सवाल के जवाब में कहा, मैं प्रशासन की विफलता नहीं कहूंगा, लेकिन कमियां जरूर थीं।
उन्होंने सांसद रमेश बिधूड़ी के विवादित बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि संसद के भीतर की जाने वाली टिप्पणी पर वह कुछ नहीं कह सकते, लेकिन सभी को मर्यादा में रहना चाहिए।