Plak alanlarnakliyatnakliyatantika alanlarantika alanlarankara evden eve nakliyatlokmanakliyatpeletkazanimaltepe evden eve nakliyatevden eve nakliyatgölcük evden eve nakliyateskişehir emlaksincan evden eve nakliyateskişehir protez saçeskişehir emlakankara gülüş tasarımıkeçiören evden eve nakliyattuzla evden eve nakliyateskişehir uydu tamirEskişehir uyduankara evden eve nakliyatığdır evden eve nakliyatankara evden eve nakliyatbatman evden eve nakliyatİstanbul izmir evden eve nakliyateskişehir emlakEtimesgut evden eve nakliyattuzla evden eve nakliyatistanbul evden eve nakliyateskişehir protez saçİstanbul İzmir eşya taşımaeskişehir uydu tamireskişehir uydu tamirDeselerMasal OkuMasallar Okuantalya haberSütunlar güncellendi.
  • Fri. Sep 22nd, 2023

संसद के विशेष सत्र का दूसरा दिन ,महिला आरक्षण बिल के नाम ,जानिए बिल से क्या होंगे फायदे

Byalakhharyana@123

Sep 19, 2023

नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन था। दूसरे दिन की कार्यवाही नई संसद भवन में शुरू की गयी। आज का दिन संसद में महिला आरक्षण बिल के नाम रहा।केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया। इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल नाम दिया गया है। पीएम मोदी ने महिला आरक्षण बिल को लेकर सभी की सहमति की अपील की है। कल तक के लिए लोकसभा स्थगित कर दी गई है , अब कल इस बिल पर चर्चा होगी।

आपको बता दें कि नई संसद भवन में जाने से पहले पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों का एक साथ फोटो शूट हुआ। इसके बाद पीएम मोदी के साथ सभी सांसद  पदयात्रा करते हुए नई संसद पहुंचे। इसमें पीएम मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मौजूद रहे।
महिला आरक्षण को लेकर संसद में पीएम मोदी ने कहा, केंद्र सरकार महिला आरक्षण के तहत देशभर में 545 सीटों के अलावा 33 फीसदी सीटें बढ़ाने का निर्णय कर सकती है। करीब 180 ज्यादा सीटें बढ़ाई जा सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो लोकसभा की कुल सीटें 725 हो जाएंगी।
सूत्रों से जानकारी मिली है कि महिला आरक्षण बिल रोटेशनल बेस पर होगा जिसमें 180 लोकसभा सीट पर डुअल मेंबरशिप होगी। इनमें से एक तिहाई सीट एससी-एसटी के लिए रिजर्व होगी। साल 2027 के बाद परिसीमन होने के बाद इतनी ही सीट्स को बढ़ाकर महिलाओं के लिए रिज़र्व कर दिया जाएगा।

27 साल पहले पहली बार संसद में पेश किया गया था महिला आरक्षण बिल
आज संविधान का 128वां संशोधन विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया जा चुका है यह पहला मौका नहीं है, जब महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर आया। 1996 से 27 साल में कई बार यह अहम मुद्दा संसद में उठ चुका है। लेकिन दोनों सदनों में पास नहीं हो सका।
महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का विधेयक सबसे पहले 1996 में एच.डी. देवगौड़ा सरकार में पेश किया गया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया। यह कानून 2010 में राज्यसभा में पारित किया गया था, लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका और 2014 में इसके विघटन के बाद यह खत्म हो गया।

क्या है महिला आरक्षण बिल में?

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।

अभी लोकसभा में कितनी महिला सांसद ?

जानकारी के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। इस लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 के 15 प्रतिशत से भी कम हैं। बीते साल दिसंबर में सरकार द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 प्रतिशत है , इसके अलावा 10 राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है, इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी शामिल हैं।

2008 में नहीं बनी आम सहमति

2008 के विधेयक को कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था, लेकिन यह अपनी अंतिम रिपोर्ट में आम सहमति तक पहुंचने में विफल रहा। समिति ने सिफारिश की कि विधेयक को संसद में पारित किया जाए और बिना किसी देरी के कार्रवाई में लाया जाए।
कमेटी के दो सदस्य, जो कि समाजवादी पार्टी के थे, वीरेंद्र भाटिया और शैलेन्द्र कुमार ने यह कहते हुए असहमति जताई कि वे महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के खिलाफ नहीं थे, लेकिन जिस तरह से इस विधेयक का मसौदा तैयार किया गया था, उससे असहमत थे। उन्होंने सिफारिश की थी कि प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने 20 प्रतिशत टिकट महिलाओं को वितरित करने चाहिए, आरक्षण 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

कब कब पेश किया गया बिल?
साल 2008 से पहले इस बिल को 1996, 1998 और 1999 में भी पेश किया गया था। गीता मुखर्जी की अध्यक्षता में एक संयुक्त संसदी समिति ने 1996 के विधेयक की जांच की थी और 7 सिफारिशें की थीं , इनमें से पांच को 2008 के विधेयक में शामिल किया गया था, जिसमें इंडियंस के लिए 15 साल की आरक्षण अवधि और उप- आरक्षण शामिल था। इस बिल में राज्य में से कम लोकसभा की सीटें हों, दिल्ली विधानसभा में आरक्षण और कम से एक तिहाई आरक्षण को भी शामिल किया गया था। कमेटी की दो सिफारिशों को 2008 के विधेयक में शामिल नहीं किया गया था। पहली सिफारिश राज्यसभा और विधान परिषदों में सीटें आरक्षित करने के लिए थी और दूसरी सिफारिश विधानसभा द्वार ओबीसी के लिए आरक्षण का विस्तार करने के बाद ओबीसी महिलाओं के उप-आरक्षण के लिए था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

porno izleescort izmirankara escorteryaman escortsultanbeyli escortankara escortçankaya escortkızılay escortdemetevler escorteryaman escortPendik Escortistanbul escortanadolu yakası escorthalkalı escortmaltepe escortyeşilköy escorteve gelen escort floryagrup escort floryaEskort Yeşilköyescortescort ceren floryayeşilköy escort listesiLady escort şişliFlorya Elit escortFlorya Kolombiya Escortbuca escortfethiye escortısparta escortbeylikdüzü escortEscort BayanTürkiye Escort, Escort Bayanmarmaris escortBahçeşehir escortBahçeşehir escortBahçeşehir escortizmir escortizmir escortSütunlar güncellendi.