दिल्ली की अदालत ने 41 साल पुराने सिख विरोधी दंगा मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है। राउज एवेन्यू कोर्ट 18 फरवरी को उनकी सजा पर बहस करेगा। मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या से जुड़ा है।
क्या है पूरा मामला?
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 1 नवंबर को दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, केवल दिल्ली में 2700 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि पूरे देश में यह संख्या करीब 3500 थी। दंगे की जांच के लिए मई 2000 में जीटी नानावटी कमीशन का गठन किया गया।
केस की प्रमुख घटनाएं
- 2005: नानावटी कमीशन की सिफारिश पर CBI ने केस दर्ज किया।
- 2010: ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार सहित अन्य आरोपियों को समन जारी किया।
- 2013: ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया, जिसके बाद CBI ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की।
- 2018: दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2018 को सज्जन कुमार को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
सज्जन कुमार का राजनीतिक सफर
सज्जन कुमार का जन्म 23 सितंबर 1945 को हुआ।
- 1977: पहली बार पार्षद चुने गए।
- 1980: सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1991: फिर लोकसभा पहुंचे।
- 2004: बाहरी दिल्ली सीट से रिकॉर्ड जीत दर्ज की।
1984 के दंगों में दोषी ठहराए जाने के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों में बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ अपील दायर क्यों नहीं की गई? न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुइयां ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की जाए और ईमानदारी से अभियोजन सुनिश्चित किया जाए।
अगली सुनवाई 18 फरवरी को
अब 18 फरवरी को राउज एवेन्यू कोर्ट में सज्जन कुमार की सजा पर बहस होगी।