Haryana, उच्चतम न्यायालय ने जमीन के एक भूखंड के आवंटन के लिए एक व्यक्ति से और पैसे मांगने के मामले में अदालतों का समय ‘‘बर्बाद’’ करने और ‘‘फर्जी अपील’’ दायर करने को लेकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को फटकार लगाई तथा एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि जिस व्यक्ति को शीर्ष अदालत तक ‘‘अनावश्यक मुकदमेबाजी’’ में घसीटा गया है, उसे 50,000 रुपये की राशि दी जानी चाहिए।
पीठ ने अपील खारिज करते हुए कहा, ‘‘उपरोक्त कारणों से और विभिन्न स्तरों पर अदालतों का समय बर्बाद करने के लिए, हम अपीलकर्ताओं (प्राधिकरण) पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाना उचित समझते हैं, जिसे शीर्ष अदालत के मध्यस्थता केंद्र में जमा कराना होगा।
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शीर्ष अदालत ने कहा कि यह राशि संबंधित दोषी अधिकारियों से प्राधिकरण द्वारा वसूली जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा अक्टूबर 2009 में पारित आदेश के खिलाफ प्राधिकरण द्वारा दायर एक अपील से निपट रही थी, जिसने प्राधिकरण की याचिका खारिज कर दी थी और निचली अदालत के साथ-साथ प्रथम अपीलीय अदालत द्वारा दर्ज तथ्यों के समवर्ती निष्कर्षों को बरकरार रखा था।