अलख हरियाणा डॉट कॉम || हाल ही पंजाब सूबे में जबरदस्त सियासी भूंकप में कैप्टन अमरिंदर सिंह का किला तहसनहस कर दिया और वहां अब नए सिरे से कमान एक दलित सिख नेता चरणजीत सिंह चन्नी को सौंप दी। बात यहाँ तक होती तो कोई बात नहीं थी लेकिन जिस तरह से कांग्रेस दलित सीएम बनाने का प्रचार प्रसार कर ही है उससे पंजाब से सटे हरियाणा सूबे की कांग्रेस को भी सताने लगा है। कही भविष्य हरियाणा के धुरंधर नेता मेहनत करके कांग्रेस को सत्तासीन कर दे और मलाई किसी दलित के हिस्से में आ जाए।

इसी सियासी डर के चलते हैं हरियाणा के गैरदलित नेताओं का एकजुट होना, उनकी सियासी मजबूरी बन सकता है। हाईकमान ने इस संबंध में हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को खास संदेश भी दिया है। इसे लेकर प्रदेह के कांग्रेस नेता अलर्ट मोड में दिखाई दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधायकों की बैठक भी बुलाई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा के बीच चल रही खींचतान की वजह से कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की सूची रोकी हुई थी, अब बदले हुए हालत में अब यह सूची भी जल्द आने की संभावना है। यह सूचि अब तक इसी कारण रुकी हुई थी की कहीं सूची जारी होते ही हुड्डा और सैलजा खेमों में घमासान न हो जाए, लेकिन पंजाब के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की छवि तो बोल्ड होकर उभरी ही, साथ ही नेताओं को यह भी सन्देश दिया है कि हाईकमान के फैसलों को को बिना किसी नुक्ताचीनी के स्वीकार किये जाएं।

ऐसा नहीं होने की स्थिति में कांग्रेस नेतृत्व हरियाणा में भी कड़े फैसले लेने से गुरेज नहीं करेगा, जैसा कि वह पहले हिचकता रहा है। प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कद काफी बड़ा है। पार्टी के कुल 31 एमएलए में से 24 से 26 उनके साथ माने जाते हैं। सैलजा का राजनीतिक कद भी कम नहीं हैं। वे सोनिया के करीब मानी जाती हैं। पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी सैलजा की प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को पूरी तरह से सुरक्षित माना जा सकता है। हरियाणा में यूँ तो पहले से ही बीजेपी नॉन जाट की राजनीति करती है ऐसे में कांग्रेस हाईकमान के सामने यक्ष प्रश्न है कि दलित और गैरदलित में से किसकी को केंद्र में रख आगामी फैसले लेती है।